क्या किसी को छोड़ना, भूलना कागज़ को फाड़ देने जितना आसान है!

मंथन। क्या रिश्ते कागज़ी होते हैं, क्या किसी को छोड़ना भूलना कागज़ को फाड़ देने जितना आसान होता है नहीं न! शायद ये बहुत मुश्किल काम है और उतना ही... Read More

आशाएं और हम…

न्याज़िया मंथन। कहते हैं उम्मीद पे दुनिया क़ायम है हां शायद हम उम्मीद से बंधे हुए हैं इन्हीं के सहारे जीते हैं और इन्हें के टूटने पर ज़ख्मी हो जाते... Read More

बस वक़्त की क़ीमत होती है…

न्याज़िया मंथन। वक़्त का तकाज़ा देखकर ही चलना चाहिए जब जो वक़्त कहे वो करना चाहिए,ये सुना तो है हमने पर इस पर अमल करना इतना आसान नहीं क्योंकि इसके... Read More

क्या हर बार सम्मान की इच्छा सही है!

न्याज़िया मंथन। जब हम कुछ अच्छा काम करते हैं तो दिल में ही सही पर ये कामना करते हैं कि कोई हमारी तारीफ करें और कोई सम्मान हमें मिल जाए... Read More

किसी भी प्यार को पाने के लिए साधना करनी पड़ती है, जो छूट गया वो…

न्याज़ियामंथन। आपको नहीं लगता कभी-कभी हमारे पैर तो आगे बढ़ जाते हैं पर हम आगे नहीं बढ़ पाते, हमारा दिल दिमाग पिछली बातों को भूल नहीं पाता, उन लोगों के... Read More

क्या आप अपनी आजीविका से खुश हैं ?

न्याज़ियामंथन। जी हां आपका वो काम जिससे आपका जीवन यापन होता है रोज़ी , रोटी ,कमाने का ज़रिया! अगर नहीं हैं तो अपनी आजीविका तलाशने से पहले ,खुद को समझने... Read More