हर समय दुखी रहने से हम हो जाते है अकेले!

न्याज़ियामंथन। आपको नहीं लगता कि हर वक़्त दुखी रहने से हम अकेले रह जाते हैं शायद इसलिए कि कोई भी बहुत देर तक रोना नहीं चाहता, आपसे थोड़ी सहानुभूति दिखाने... Read More

क्या अपनी तारीफ करना सही है?

न्याज़ियामंथन। माना कि हम बहोत गुणीं हैं बहुत क़ाबिल हैं पर क्या अपनी तारीफ करना सही है ?अपने लिए बड़े-बड़े दावे करना सही है? कहीं ये कॉन्फिडेंस ,ओवर कॉन्फिडेंस तो... Read More

आख़िर क्या चाहते हैं हम!

न्याज़ियामंथन। क्या हम सब जानते हैं कि आखिर हमें क्या चाहिए ? हमारा सुख कहां छुपा है ? क्या ,उसकी तलाश में हैं हम ?या फिर दुखी मन से बस... Read More

दिल की बात कहें? तो किससे कहें?

न्याज़ियामंथन। कैसे ढूंढे? उस इंसान को जो हमारी मजबूरियों का फायदा न उठाएं! शायद आज की दुनियां में ये काम सबसे मुश्किल है ,क्योंकि आज हर इंसान ,दूसरे का फायदा... Read More