क्या है जीवन का गणित…

न्याज़िया मंथन। आपको नहीं लगता,पोथी पढ़के विद्वान बनना और बुद्धिमान बनके विवेक से काम लेना जीवन को संवारना दोनों अलग अलग बातें हैं क्योंकि किताबें पढ़ कर हम दुनिया के... Read More

आत्ममंथन: रोज़ी रोटी जब परदेस बुलाए

Atmamanthan In Hindi | न्याज़िया बेगम: आज की इस दौड़ती-भागती ज़िंदगी में रोज़ी रोटी की तलाश में, बहोत कुछ पीछे छूट जाता है और जब ये नसीब भी होती है, तो... Read More

आप को नहीं लगता ,आज की दुनिया में हर शख़्स परेशान सा है!

न्याज़िया मंथन। सब कुछ होते हुए भी हम जीवन का आनंद नहीं ले पाते कभी अपनी तो कभी अपनों की उलझनें हमें परेशान कर देती हैं जबकि हम या तो... Read More

ज़िंदगी क्या सच में एक पहेली है!

न्याज़िया मंथन। ज़िंदगी क्या सच में एक पहेली है जिसका जवाब ढूंढना बहुत मुश्किल है,जैसे - क्यों है? किसके लिए है? और अपने लिए नहीं है तो क्यों नहीं है... Read More

आत्ममंथन: हम सबमें है कुछ ख़ास, फिर किस बात की होड़

Atmamanthan In Hindi | न्याज़िया बेगम: आज जाने हम किस बनावटी दुनिया में जी रहे हैं। जहां खुद को संवारने की होड़ मची है खुद को प्रेज़ेंटेबल बनाने में महिला... Read More

क्यों हमें दुनिया अच्छी नहीं लगती

मंथन। आपको नहीं लगता ये दुनिया बहुत खूबसूरत है बस हमारे पास इसे देखने का खूबसूरत नज़रिया होना चाहिए और अगर ये नज़रिया सबके पास हो तो कोई दुनिया से... Read More

हम क्या कर सकते हैं ?हमें तो कुछ नहीं आता !

न्याज़ियामंथन। अक्सर जब हम बेवक़्त या मजबूरी के चलते काम की तलाश में निकलते हैं तो हम खुद को ही अधूरे से लगते हैं ये लगता है कि अभी तो... Read More

आत्ममंथन: क्यों बहोत अच्छे की चाह में हम बुरा चुन लेते हैं

Atmamanthan In Hindi | न्याज़िया बेगम: फैसले लेने में जल्द बाज़ी न करें मगर बहुत देर भी न करें क्योंकि कभी कभी हम उन बातों को टालते जाते हैं, जिनके... Read More

अच्छा होगा कि हम बर्दाश्त करना सीखे, धैर्य से काम लें

न्याज़ियामंथन। आपको क्या लगता है क्या ज़्यादा मुश्किल है ? किसी की बात का पलट के जबाब देना या सुन लेना, बर्दाश्त कर लेना और सब भूलकर सामान्य हो जाना,... Read More

क्या वास्तव में औरत कंमजोर है!

न्याज़ियामंथन। औरत कौन होती है वो लड़की जिसकी क़ुव्वत क़ुदरत धीरे-धीरे उसे बता देती है इसके बावजूद दुनिया कहती है कि वो कमज़ोर है और वो कभी-कभी तो मान भी... Read More

‘नमन्ति फलनो वृक्षा, नमन्ति गुणतोजना, शुष्क कास्ठानि मुर्खाश्च नमति कदाचन’

न्याज़ियामंथन। क्या आपके पास भी कुछ लोग ऐसे हैं जो आपसे बहुत बड़े हैं उम्र में या रुतबे में लेकिन आपकी हर बात ग़ौर से सुनते हैं, आपको अहमियत देते... Read More

“बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।

न्याज़ियामंथन। क्या ये मानना मुश्किल है कि हममें भी कोई कमी है ? हज़ार ग़लतिया दूसरों की निकाल लेना और अपनी एक भी न ढूंढ पाना सही है ? नहीं... Read More