न्याज़ियामंथन। अक्सर परिस्थितियां हमें तोड़ कर रख देती हैं लेकिन आपको नहीं लगता कि जिसके जितने मुश्किल हालात वो उतना ही मज़बूत होता है! हालातों को बेहतर बनाने का माद्दा... Read More
न्याज़िया मंथन। दुनिया कुछ भी कहे, हम अच्छे हैं ,बुरे हैं या अजीब हैं तो हमें क्यों फर्क पड़ता है? आख़िर दुनियां वाले हमारी तारीफ या बुराई भी करें तो... Read More
मंथन। क्या रिश्ते कागज़ी होते हैं, क्या किसी को छोड़ना भूलना कागज़ को फाड़ देने जितना आसान होता है नहीं न! शायद ये बहुत मुश्किल काम है और उतना ही... Read More
न्याज़िया मंथन। आपको नहीं लगता,पोथी पढ़के विद्वान बनना और बुद्धिमान बनके विवेक से काम लेना जीवन को संवारना दोनों अलग अलग बातें हैं क्योंकि किताबें पढ़ कर हम दुनिया के... Read More
न्याज़िया मंथन। कहते हैं उम्मीद पे दुनिया क़ायम है हां शायद हम उम्मीद से बंधे हुए हैं इन्हीं के सहारे जीते हैं और इन्हें के टूटने पर ज़ख्मी हो जाते... Read More
न्याज़िया मंथन। वक़्त का तकाज़ा देखकर ही चलना चाहिए जब जो वक़्त कहे वो करना चाहिए,ये सुना तो है हमने पर इस पर अमल करना इतना आसान नहीं क्योंकि इसके... Read More
न्याज़िया मंथन। ज़िंदगी क्या सच में एक पहेली है जिसका जवाब ढूंढना बहुत मुश्किल है,जैसे - क्यों है? किसके लिए है? और अपने लिए नहीं है तो क्यों नहीं है... Read More