उनसे क्या घबराना या इतराना जो आज है कल नहीं

न्याज़ियामंथन। जी हां हमारे जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं है ,सब कुछ नश्वर है तो फिर कुछ पाने की ख़ुशी और खो देने का दुख कैसा ? जो आज... Read More

जितने खराब हालात, उतने मज़बूत हम

न्याज़ियामंथन। अक्सर परिस्थितियां हमें तोड़ कर रख देती हैं लेकिन आपको नहीं लगता कि जिसके जितने मुश्किल हालात वो उतना ही मज़बूत होता है! हालातों को बेहतर बनाने का माद्दा... Read More

प्यार करने का सबसे अच्छा तरीका

मंथन। आपको क्या लगता है अपनी मोहब्बत किस तरीके से हम आसानी से सामने वाले तक पहुंचा सकते हैं या फिर बिना जताए भी प्रेम कर सकते हैं ! नहीं... Read More

दुनिया कौन होती है हमें…

न्याज़िया मंथन। दुनिया कुछ भी कहे, हम अच्छे हैं ,बुरे हैं या अजीब हैं तो हमें क्यों फर्क पड़ता है? आख़िर दुनियां वाले हमारी तारीफ या बुराई भी करें तो... Read More

जब ज़िद पर अड़ जाए हम…

न्याज़ियामंथन। कई बार हमारा मन ज़िद पर अड़ जाता है पर हर ज़िद को मान लेना अच्छा नहीं होता कई बार खुद को मना लेना भी अच्छा होता है, नहीं!... Read More

क्या किसी को छोड़ना, भूलना कागज़ को फाड़ देने जितना आसान है!

मंथन। क्या रिश्ते कागज़ी होते हैं, क्या किसी को छोड़ना भूलना कागज़ को फाड़ देने जितना आसान होता है नहीं न! शायद ये बहुत मुश्किल काम है और उतना ही... Read More

क्या है जीवन का गणित…

न्याज़िया मंथन। आपको नहीं लगता,पोथी पढ़के विद्वान बनना और बुद्धिमान बनके विवेक से काम लेना जीवन को संवारना दोनों अलग अलग बातें हैं क्योंकि किताबें पढ़ कर हम दुनिया के... Read More

आशाएं और हम…

न्याज़िया मंथन। कहते हैं उम्मीद पे दुनिया क़ायम है हां शायद हम उम्मीद से बंधे हुए हैं इन्हीं के सहारे जीते हैं और इन्हें के टूटने पर ज़ख्मी हो जाते... Read More

बस वक़्त की क़ीमत होती है…

न्याज़िया मंथन। वक़्त का तकाज़ा देखकर ही चलना चाहिए जब जो वक़्त कहे वो करना चाहिए,ये सुना तो है हमने पर इस पर अमल करना इतना आसान नहीं क्योंकि इसके... Read More

क्या हर बार सम्मान की इच्छा सही है!

न्याज़िया मंथन। जब हम कुछ अच्छा काम करते हैं तो दिल में ही सही पर ये कामना करते हैं कि कोई हमारी तारीफ करें और कोई सम्मान हमें मिल जाए... Read More

आप को नहीं लगता ,आज की दुनिया में हर शख़्स परेशान सा है!

न्याज़िया मंथन। सब कुछ होते हुए भी हम जीवन का आनंद नहीं ले पाते कभी अपनी तो कभी अपनों की उलझनें हमें परेशान कर देती हैं जबकि हम या तो... Read More

ज़िंदगी क्या सच में एक पहेली है!

न्याज़िया मंथन। ज़िंदगी क्या सच में एक पहेली है जिसका जवाब ढूंढना बहुत मुश्किल है,जैसे - क्यों है? किसके लिए है? और अपने लिए नहीं है तो क्यों नहीं है... Read More