Syria Conflict News :विद्रोहियों ने सीरिया पर किया कब्ज़ा

Syria-Russia Relationship History: मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि सीरिया में असद शासन का अंत हो चुका है और विद्रोहियों ने देश पर कब्जा कर लिया है. दावा यह भी है कि राष्ट्रपति असद रूस के कार्गो विमान से रूस चले गए हैं. जिस विमान से वह देश छोड़कर निकले हैं, वह रडार से गायब है. ज्यादा संभावना यही है कि असद रूस गए होंगे, क्योंकि पुतिन से उनकी दोस्ती काफी गहरी है. आइए जान लेते हैं कि रूस और सीरिया की दोस्ती कितनी पुरानी है और दोनों के बीच रिश्ता इतना मजबूत क्यों है?

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आपको बताते चले कि सीरिया में HTS के विद्रोह के बीच राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर भाग निकले हैं. मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार सीरिया में असद शासन का अंत हो चुका है और विद्रोहियों ने देश पर कब्जा कर लिया है. दावा किया गया है कि राष्ट्रपति असद रूस के कार्गो विमान से रूस चले गए हैं. उनके तेहरान जाने की भी बात कही जा रही है. पुष्टि नहीं हो पा रही है, क्योंकि जिस विमान से वह देश छोड़कर निकले हैं, वह रडार से गायब है.

ज्यादा संभावना यही है कि असद रूस गए होंगे, क्योंकि पुतिन से उनकी दोस्ती काफी गहरी है. आइए जान लेते हैं कि रूस और सीरिया की दोस्ती कितनी पुरानी है और दोनों के बीच रिश्ता इतना मजबूत क्यों है?

काफी पुराना है रुस – सीरिया संबंध

गौरतलब है कि रूस और सीरिया के बीच संबंध काफी पुराना है. दोनों देशों के एक-दूसरे के यहां दूतावास हैं तो सीरिया के बंदरगाह वाले शहर टार्टस में रूस का नौसैनिक अड्डा भी स्थापित है. आधिकारिक रूप से सीरिया को स्वाधीनता मिलने से पहले से ही सीरिया के साथ रूस के संबंध थे. यह साल 1893 की बात है. सीरिया तब ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा था. इस साल रूस के तत्कालीन साम्राज्य ने सीरिया के दमिश्क में अपना वाणिज्य दूतावास खोला था, हालांकि, 1917 की रूसी क्रांति और 1922 में सोवियत संघ के गठन के बाद सीरिया में रूस की उपस्थिति लगभग खत्म हो गई. इसी बीच फ्रांस ने सीरिया पर कब्जा कर लिया तो सोवियत संघ राजनीतिक रूप से सीरिया को लेकर शांत रहा.

दूसरे विश्व युद्ध के दौर में करीब आए

दूसरे विश्व युद्ध के दौर में ही साल 1944 में एक बार फिर से सीरिया के साथ रूस के राजनयिक संबंध बने. दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति के पहले तक सीरिया में फ्रांस और ब्रिटेन के सैनिक मौजूद थे. उनको हटाने के लिए फरवरी 1946 में रूस और सीरिया ने एक गुप्त समझौते पर हस्ताक्षर किए. हालांकि, अप्रैल 1946 में फ्रांस ने सीरिया से अपने सैनिक हटा लिए और वह आजाद हो गया. इसके बाद शीत युद्ध के दौर में रूस और सीरिया और भी करीब आते गए.

स्वेज संकट के समय खड़ा हुआ सोवियत संघ

दिलचस्प बात यह है कि साल 1956 के अंत में स्वेज संकट खड़ा हुआ तो सोवियत संघ ने फ्रांस और ब्रिटेन के खिलाफ विनाशकारी हथियारों के इस्तेमाल की चेतावनी तक दे डाली. इसी बीच सीरिया के तत्कालीन राष्ट्रपति ने सोवियत संघ से अरबों के पक्ष में पायलट भेजने के लिए कहा. साथ ही रूसी विमानों के दो स्क्वाड्रन की तैनाती का भी आग्रह किया. इससे सीरिया में सोवियत संघ की मदद और बढ़ गई. केवल 1955-56 के बीच सीरिया को अपनी सैन्य ताकत मजबूत करने के लिए 294 मिलियन डॉलर मिले थे.

बशर अल असद भी रूस के करीब रहे

गौरतलब है कि साल 2000 में हाफिज अल असद के बाद उनके बेटे बशर अल असद राष्ट्रपति चुने गए. साल 2011 में सीरिया में गृह युद्ध शुरू हो गया. साल 2012 में सीरिया के होम्स शहर में कथित रूस से नागरिकों पर हमले हुए, जिसके कारण संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बशर अस असद की सरकार के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया गया, जिसके खिलाफ रूस ने मतदान किया था. सितंबर 2018 में रूस ने सीरियाई बच्चों को मुफ्त सैन्य ट्रेनिंग देने की घोषणा की थी.

नौसैनिक अड्डे के अलावा रूस ने सीरिया के पाल्मेरा और लताकिया में एयरबेस भी स्थापित किए. अपने गुप्त जासूसी अड्डे सीरिया में बनाए तो उसकी हवाई हमले से रक्षा के लिए रूस ने सीरिया में अपने उपकरण भी स्थापित किया. एचटीएस के विद्रोह के दबाने के लिए भी रूस हमेशा सीरिया की मदद करता रहा. यहां तक कि बशर अल असद की सरकार खतरे में देख रूस सितंबर 2015 में औपचारिक रूप से सीरिया के गृह युद्ध में शामिल हो गया था. हालांकि, यूक्रेन के साथ युद्ध के चलते वर्तमान में रूस उतनी अधिक मदद सीरिया की नहीं कर पा रहा था और विद्रोहियों ने इसका फायदा उठाया और सीरियाई राष्ट्रपति को देश छोड़ना पड़ा.

यह भी देखें https://youtu.be/xUWa4apQICg?si=2tSwMPVojdxqnEOw

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