बॉयोलॉजिकल पैरेंट्स को ढूंढने भारत आई स्वीडिश महिला

Patricia Erickson

पेट्रीसिया ने बताया कि वे जब छः साल की थी तो स्कूल में सब बात करते थे कि उनकी नाक मां जैसी है. उनके बाल पापा जैसे हैं. लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाती थीं क्योकिं वे किसी के जैसी नहीं दिखती थीं. उसके बाद धीरे-धीरे उनके मन में अपनी बॉयोलॉजिकल मां को ढूंढने का ख्याल आने लगा.

स्वीडन की पेट्रीसिया एरिक्सन भारत में अपने बॉयोलॉजिकल पैरेंट्स की तलाश करने आई हैं. पेट्रीसिया फरवरी 1983 में नागपुर में पैदा हुई थीं, लेकिन उनके माता-पिता ने उन्हें छोड़ दिया था. साल भर बाद 1 स्वीडिश जोड़े ने उन्हें गोद ले लिया था.

पेट्रीसिया ने बताया कि वे जब छः साल की थी तो स्कूल में सब बात करते थे कि उनकी नाक मां जैसी है. उनके बाल पापा जैसे हैं. लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाती थीं क्योकिं वे किसी के जैसी नहीं दिखती थीं. उसके बाद धीरे-धीरे उनके मन में अपनी बॉयोलॉजिकल मां को ढूंढने का ख्याल आने लगा. पेट्रीसिया दूसरी बार नागपुर आई हैं. अगेंस्ट चाइल्ड ट्रैफकिंग से जुड़ीं एडवोकेट अंजली पवार इस तलाश में उनकी मदद कर रही हैं.

ये पहली बार नहीं है कि कोई विदेशी नागरिक अपने बॉयोलॉजिकल पैरेंट्स को ढूंढने भारत आया है. पिछले साल दिसंबर में एक स्विस महिला विद्या फिलिपोन भी अपनी बॉयोलॉजिकल मां को ढूंढने आईं थीं. फिलिपोन फरवरी 1996 में जन्मीं थीं. उनकी मां ने उन्हें मिशिनरीज ऑफ़ चैरिटी में छोड़ दिया था. 1997 में एक स्विस जोड़े ने गोद ले लिया था.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *