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स्वामी शिवानंद बाबा की जीवनी

Swami Shivanand Baba Ki Jiwani: काशी की पावन धरती पर योग और आध्यात्मिकता की अलख जगाने वाले पद्मश्री सम्मानित स्वामी शिवानंद बाबा का 4 मई 2025 को 128 वर्ष की आयु में निधन (Padmashree Swami Shivanand Baba passed away) हो गया। बीएचयू अस्पताल में 30 अप्रैल से स्वास्थ्य समस्याओं के चलते भर्ती शिवानंद बाबा ( Swami Shivanand Baba) ने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से उनके अनुयायियों और योग प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई। स्वामी शिवानंद बाबा ने अपने लंबे जीवन में योग और अनुशासित जीवनशैली के जरिए न सिर्फ लोगों को प्रेरित किया, बल्कि एक ऐसी विरासत छोड़ी जो आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा देती रहेगी।

जीवनी: एक साधारण शुरुआत से असाधारण जीवन तक

Shivanand Baba Biography In Hindi: स्वामी शिवानंद बाबा का जन्म 8 अगस्त 1896 को वर्तमान बांग्लादेश के सिलहट जिले (तत्कालीन श्रीहट्ट) में हुआ था। उनका बचपन बेहद कठिनाइयों भरा रहा। मात्र 6 साल की उम्र में उन्होंने अपने माता-पिता को भुखमरी के कारण खो दिया। इस दुखद घटना ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। अनाथ होने के बाद उन्हें ओमकारानंद नामक गुरु ने संरक्षण दिया, जिन्होंने उन्हें आध्यात्मिक शिक्षा और जीवन के मूल्यों से परिचित कराया। ओमकारानंद के मार्गदर्शन में शिवानंद बाबा ने योग और साधना की राह अपनाई, जो उनके जीवन का आधार बन गई।

संघर्ष से सफलता की प्रेरक यात्रा

Life Journey Of Swami Shivanand Baba: शिवानंद बाबा का जीवन संघर्षों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। माता-पिता के निधन के बाद उन्होंने बेहद सादगी और अनुशासन भरा जीवन अपनाया। वे हमेशा आधा पेट भोजन करते थे और तेल से बनी चीजों, दूध या फलों से परहेज करते थे, क्योंकि गरीब लोग इन्हें वहन नहीं कर सकते। 1925 में अपने गुरु के निर्देश पर वे लंदन गए और वहां छह महाद्वीपों में योग और भारतीय जीवन शैली का प्रदर्शन किया। 1959 में भारत लौटने के बाद उन्होंने उत्तर-पूर्वी भारत सहित देश के विभिन्न हिस्सों में लोगों की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक समस्याओं के समाधान के लिए सेवा कार्य शुरू किया।

1979 में वे स्थायी रूप से वराणसी के भेलूपुर क्षेत्र में बस गए। यहां उन्होंने अपना जीवन जप, ध्यान, पूजा और लोगों की मदद में समर्पित कर दिया। 2021 में, 125 साल की उम्र में, उन्होंने कोविड-19 वैक्सीन लगवाकर सभी को हैरान कर दिया। उस समय उन्होंने कहा था कि वे वैक्सीन के बाद “ऊर्जावान” महसूस कर रहे हैं, जिससे उनकी अनुशासित जीवनशैली की झलक मिलती है।

उपलब्धियां: योग और आध्यात्मिकता की मिसाल

Achievements Of Swami Shivanand Baba: शिवानंद बाबा को उनके योग और आध्यात्मिक योगदान के लिए 2022 में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया। वे 128 साल की उम्र तक सक्रिय रहे और प्रतिदिन योग करते थे। उन्होंने कभी दिन में सोने की आदत नहीं डाली और रात 9 बजे सोने का अनुशासन बनाए रखा। उनकी सादगी और अनुशासित जीवनशैली ने उन्हें एक अनूठा व्यक्तित्व बनाया। वराणसी के डुर्गाकुंड शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में वैक्सीनेशन के दौरान अस्पताल कर्मचारियों ने उनकी ऊर्जा और सकारात्मकता की खूब तारीफ की थी।

उन्होंने 1960 और 1970 के दशक में उत्तर-पूर्वी भारत में लोगों की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक समस्याओं को दूर करने के लिए अथक प्रयास किए। 1977 से 1979 तक वृंदावन में रहते हुए उन्होंने गरीबों की सेवा और दान कार्य को भी आगे बढ़ाया। उनकी ये उपलब्धियां उन्हें एक सच्चे योगी और समाजसेवी के रूप में स्थापित करती हैं।

उनका लक्ष्य: रोगमुक्त और आनंदमय जीवन की कामना

Motive Of Shivanand Baba: शिवानंद बाबा का सपना था कि धरती पर हर व्यक्ति रोगमुक्त और आनंदमय जीवन जिए। वे चाहते थे कि लोग रोजाना कम से कम आधा घंटा योग करें। उनका मानना था कि असली धर्म दिल का धर्म है, जो प्रेम, करुणा और सेवा पर आधारित है। वे अपने अनुयायियों को सादगी और अनुशासन का पाठ पढ़ाते थे और कहते थे कि सच्चा सुख आंतरिक शांति और स्वस्थ जीवन में है।

एक प्रेरणा जो हमेशा जीवित रहेगी

स्वामी शिवानंद बाबा भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी सादगी, अनुशासन और योग के प्रति समर्पण की कहानी हमेशा प्रेरणा देती रहेगी। उनके अनुयायी और प्रशंसक उनके दिखाए रास्ते पर चलकर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं। जैसा कि उन्होंने कहा था, “योग और अनुशासन ही सच्चे जीवन का आधार हैं।” उनके निधन पर उनके अनुयायियों को सांत्वना देते हुए एक शोक संदेश में कहा गया, “बाबा विश्वनाथ उनकी आत्मा को मोक्ष प्रदान करें और उनके अनुयायियों को यह अपार दुख सहने की शक्ति दें।

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