सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT) ने राज्यपाल को निर्देश दिया कि उन्हें तय समय सीमा के भीतर अपने विकल्पों का इस्तेमाल करना होगा
तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT) से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल द्वारा सरकार के 10 अहम बिलों को रोकने को अवैध करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह मनमाना कदम है और कानून की दृष्टि से सही नहीं है। राज्यपाल को राज्य विधानसभा की मदद और सलाह देनी चाहिए थी। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों के लिए बिल पर काम करने की समयसीमा तय की है। कहा कि विधानसभा से पास बिल पर राज्यपाल एक महीने के अंदर कार्रवाई करें।
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राज्यपाल ध्यान रखे कोई बाधा उत्पन्न न हो- शीर्ष कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT) ने टिप्पणी करते हुए कहा- राज्यपाल को दोस्त, दार्शनिक और मार्गदर्शक की तरह होना चाहिए। आप संविधान की शपथ लें। आपको किसी राजनीतिक दल से प्रेरित नहीं होना चाहिए। आपको उत्प्रेरक होना चाहिए, अवरोधक नहीं। राज्यपाल को ध्यान रखना चाहिए कि कोई बाधा उत्पन्न न हो।
तमिलनाडु सरकार की याचिका पर SUPREME COURT ने की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें कहा गया कि राज्यपाल आरएन रवि ने राज्य के अहम बिलों को रोक कर रखा है। आपको बता दें कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में काम कर चुके पूर्व आईपीएस अधिकारी आरएन रवि ने 2021 में तमिलनाडु के राज्यपाल का पदभार संभाला था।
10 विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजना मनमाना- SUPREME COURT
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा कि राज्यपाल द्वारा इन 10 विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजना अवैध और मनमाना है। यह कार्रवाई रद्द की जाती है। राज्यपाल की सभी कार्रवाई अमान्य है। पीठ ने कहा कि राज्यपाल रवि ने अच्छी नीयत से काम नहीं किया। ये विधेयक उसी दिन से स्वीकृत माने जाएंगे, जिस दिन विधानसभा ने विधेयकों को पारित कर राज्यपाल के पास वापस भेज दिया था।
‘राज्यपाल को एक महीने के भीतर इसे मंजूरी देनी होगी’
सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT) ने राज्यपाल को निर्देश दिया कि उन्हें तय समय सीमा के भीतर अपने विकल्पों का इस्तेमाल करना होगा, अन्यथा उनके द्वारा उठाए गए कदमों की कानूनी समीक्षा की जाएगी। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल चाहे विधेयक को रोकें या राष्ट्रपति के पास भेजें, उन्हें मंत्रिपरिषद की सलाह से एक महीने के भीतर यह काम करना होगा। अगर विधानसभा विधेयक को दोबारा पारित कर भेजती है, तो राज्यपाल को एक महीने के भीतर इसे मंजूरी देनी होगी।