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Supreme Court: यूपी मदरसा एक्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित , सीजेआई चंद्रचूड़ बोले – भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश

Supreme Court: मंगलवार (22 अक्टूबर 2024) को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की, जिसमें यूपी मदरसा एक्ट 2004 को असंवैधानिक करार दिया गया था। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। दरअसल, सुनवाई में चीफ जस्टिस ने कहा, “शिक्षा को नियंत्रित करने का अधिकार राज्य सरकार के पास है। ऐसे में मदरसा शिक्षा के लिए बोर्ड का होना सही लगता है।” भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। यहां धार्मिक शिक्षा कोई अनसुनी बात नहीं है।

यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड से 16,500 मदरसे मान्यता प्राप्त Supreme Court

मदरसा संचालकों की ओर से यह भी कहा गया कि यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड से कुल 16,500 मदरसे मान्यता प्राप्त हैं। इनमें से सिर्फ 560 मदरसों को ही सरकार से आर्थिक मदद मिलती है। जिस तरह सरकार संस्कृत और दूसरी भाषाओं के प्रचार-प्रसार के लिए अनुदान देती है। उसी तरह अरबी या फारसी के लिए भी किया जाता है। सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि वह मदरसा एक्ट को पूरी तरह से खत्म करने के पक्ष में नहीं है। सुनवाई के दौरान इस बात पर भी चर्चा हुई कि क्या मदरसा बोर्ड द्वारा दी जाने वाली डिग्री मान्यता प्राप्त है?

छात्रों को नहीं मिलती ऐसी शिक्षा जिससे उनका व्यक्तित्व पूरी तरह से विकसित हो- एनसीपीसीआर Supreme Court

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के वकील ने कहा कि मदरसे शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई एक्ट) के दायरे में नहीं आते हैं। इस कारण वहां पढ़ने वाले छात्रों को नियमित और व्यक्तित्व विकास वाली शिक्षा नहीं मिल पाती है। इस पर पीठ के सदस्य जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि क्या एनसीपीसीआर के अधिकारियों ने मदरसे का सिलेबस देखा है? यूपी सरकार की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि राज्य सरकार ने हाईकोर्ट से कहा है, ‘मदरसा एक्ट के कुछ हिस्सों की समीक्षा की जा सकती है लेकिन पूरे एक्ट को खारिज करना सही नहीं है।’

मदरसों में वही पाठ्यक्रम जो राज्य सरकार से स्वीकृत है

दरअसल, हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मदरसा संचालकों का कहना है कि इससे 17 लाख मदरसा छात्र और 10 हजार शिक्षक प्रभावित होंगे। वे धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ अन्य विषय भी पढ़ाते हैं। मदरसों में वही पाठ्यक्रम है जो राज्य सरकार से स्वीकृत है। भारत में मदरसे हैं, वैदिक विद्यालय भी हैं। छात्रों को उनमें अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा मिले, यह देखना सरकार का काम है। ऐसा लगता है कि वे केवल इस बात से प्रभावित हैं कि वहां धार्मिक शिक्षा दी जाती है।

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