Kota Student Suicide Case: 23 मई को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेव की पीठ ने कोटा में छात्र आत्महत्याओं पर सुनवाई की। कोर्ट ने राजस्थान सरकार से सवाल किया कि आखिरकार कोटा में ही क्यों बार-बार छात्र आत्महत्या कर रहे हैं? एक विशेष मामले में, जिसमें एक नीट छात्रा ने आत्महत्या की थी, कोटा पुलिस ने FIR दर्ज करने के बजाय केवल मर्ग दर्ज किया, जिस पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। राजस्थान सरकार ने कहा कि वे कोचिंग संस्थानों के लिए नए कानून और दिशानिर्देश लाने की प्रक्रिया में
राजस्थान का कोटा शहर, जो नीट (NEET) और जेईई (JEE) जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग हब के रूप में प्रसिद्ध है, पिछले कुछ समय से छात्रों की आत्महत्याओं के कारण चर्चा में है। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने कोटा में बढ़ते छात्र आत्महत्या मामलों को लेकर राजस्थान सरकार और स्थानीय प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने इन मामलों में उचित कार्रवाई न करने, विशेष रूप से एक नीट छात्रा की आत्महत्या के मामले में FIR दर्ज न करने पर गहरी नाराजगी जताई।
सुप्रीम कोर्ट की फटकार
23 मई को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेव की पीठ ने कोटा में छात्र आत्महत्याओं पर सुनवाई की। कोर्ट ने राजस्थान सरकार से सवाल किया कि आखिरकार कोटा में ही क्यों बार-बार छात्र आत्महत्या कर रहे हैं? एक विशेष मामले में, जिसमें एक नीट छात्रा ने आत्महत्या की थी, कोटा पुलिस ने FIR दर्ज करने के बजाय केवल मर्ग दर्ज किया, जिस पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, “अब तक FIR दर्ज क्यों नहीं की गई?” और इस लापरवाही को गंभीरता से लिया। कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि कोचिंग संस्थानों और स्थानीय प्रशासन को इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
कोटा में आत्महत्याओं का बढ़ता आंकड़ा
कोटा में कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों पर पढ़ाई का अत्यधिक दबाव, मानसिक तनाव, और प्रतिस्पर्धा का माहौल आत्महत्या के प्रमुख कारण माने जा रहे हैं। 2024 में कोटा में 17 छात्रों ने आत्महत्या की थी, और 2025 में केवल 20 दिनों के भीतर 6 और मामले सामने आए। हाल ही में, गुजरात की एक नीट छात्रा अफशा शेख और असम के एक छात्र पराग की आत्महत्या ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इन आंकड़ों पर चिंता जताते हुए कहा कि यह स्थिति “चिंताजनक” है और सरकार को इस दिशा में तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।
राजस्थान सरकार की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के जवाब में राजस्थान सरकार ने कहा कि वे कोचिंग संस्थानों के लिए नए कानून और दिशानिर्देश लाने की प्रक्रिया में हैं। सरकार ने कोचिंग संस्थानों को “नोट छापने की मशीन” कहने वाले परिवारों की शिकायतों का हवाला देते हुए दावा किया कि वे इस समस्या से निपटने के लिए कदम उठा रही है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने भी राजस्थान सरकार के नए बिल का स्वागत किया है, जो कोचिंग संस्थानों पर नियंत्रण और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने पर केंद्रित है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि इन दिशानिर्देशों का पालन क्यों नहीं हो रहा और FIR जैसे बुनियादी कदम क्यों नहीं उठाए गए।
सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि सरकार और कोचिंग संस्थानों को मिलकर एक ऐसा तंत्र विकसित करना चाहिए, जो छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दे। इसके लिए नियमित काउंसलिंग, तनाव प्रबंधन कार्यशालाएं, और अभिभावकों के साथ संवाद जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।