SUPREME COURT ने लगाई केंद्र सरकार को फटकार, कहा अधिकारी आदेश गंभीरता से नहीं लेते

कोर्ट (SUPREME COURT) ने 8 जनवरी को सरकार को मोटर वाहन अधिनियम की धारा 162 (2) के तहत 14 मार्च तक योजना तैयार करने का निर्देश दिया

सड़क दुर्घटना पीड़ितों के कैशलेस इलाज की योजना लागू न करने पर सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT) ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा- जब तक आला अधिकारियों को तलब नहीं किया जाता, वे कोर्ट के आदेश को गंभीरता से नहीं लेते। हम पहले से ही साफ कह रहे हैं, अगर हमें पता चला कि मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है, तो हम अवमानना ​​का नोटिस जारी करेंगे।

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वरिष्ठ अधिकारियों को 28 अप्रैल को पेश होने को कहा

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने बुधवार को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव समेत वरिष्ठ अधिकारियों को 28 अप्रैल को पेश होने को कहा है। साथ ही जनरल इंश्योरेंस काउंसिल को हिट एंड रन मामलों से जुड़े दावों के नए आंकड़े पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट (SUPREME COURT) ने 8 जनवरी को सरकार को मोटर वाहन अधिनियम की धारा 162 (2) के तहत 14 मार्च तक योजना तैयार करने का निर्देश दिया था।

SUPREME COURT ने डॉ. की रिट याचिका पर सुनवाई की

मामला कोयंबटूर के गंगा अस्पताल के आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. एस राजसिकरन की रिट याचिका से जुड़ा है। याचिका में अधिनियम की धारा 162 को लागू करने के निर्देश देने की मांग की गई है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 14 मार्च 2024 को सड़क दुर्घटना पीड़ितों के कैशलेस इलाज के लिए पायलट प्रोजेक्ट ‘कैशलेस इलाज योजना’ की शुरुआत की थी। इसके बाद 7 जनवरी 2025 को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इसे जल्द ही पूरे देश में लॉन्च करने की घोषणा की।

परिजनों को 1.5 लाख तक की रकम नहीं चुकानी होगी

इसके साथ ही देश में कहीं भी सड़क दुर्घटना होने पर घायलों के इलाज के लिए केंद्र सरकार की ओर से अधिकतम 1.5 लाख रुपये दिए जाएंगे। अगर अस्पताल को प्राथमिक उपचार के बाद मरीज को किसी बड़े अस्पताल में रेफर करना है तो उस अस्पताल को यह सुनिश्चित करना होगा कि मरीज को वहीं भर्ती कराया जाए जहां उसे रेफर किया जा रहा है। 1.5 लाख तक के कैशलेस इलाज के बाद इसके भुगतान के लिए एनएचएआई नोडल एजेंसी के रूप में काम करेगी। यानी इलाज के बाद मरीज या उसके परिजनों को 1.5 लाख तक की रकम नहीं चुकानी होगी। अगर इलाज में 1.5 लाख से ज्यादा खर्च आता है तो मरीज या परिजनों को बढ़ा हुआ बिल चुकाना होगा। सूत्रों का कहना है कि 1.5 लाख की रकम को बढ़ाकर 2 लाख रुपये करने की कोशिश की जा रही है।

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