UP Madarsa Board Act : मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट 2004 (UP Madarsa Board Act 2024) को असंवैधानिक करार दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि यूपी मदरसा एक्ट UP Madarsa Board Act संविधान का उल्लंघन नहीं है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (justice DY Chandrachud), जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने आदेश सुनाते हुए कहा कि हाईकोर्ट High Court का फैसला सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से प्रदेश के 16000 मदरसों में पढ़ने वाले करीब 17 लाख छात्रों को राहत मिली है।
यूपी सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। UP Madarsa Board Act
आपको बता दें कि यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं दी थी। लेकिन अलग-अलग याचिकाओं में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से प्रश्न पूछे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश ने पूछा कि क्या आपकी सरकार ने हाईकोर्ट में कानून का समर्थन किया था? क्या वह यहां भी इसका समर्थन करती है क्योंकि कानून राज्य सरकार का है। इस पर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि वह इस पर कायम हैं। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट को पूरे कानून को निरस्त नहीं करना चाहिए था, सिर्फ मौलिक अधिकारों का हनन करने वाले प्रावधानों को निरस्त करना चाहिए था।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से लाखों छात्रों के भविष्य पर असर पड़ेगा।
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस अधिनियम (UP Madarsa Board Act) की विधायी योजना मदरसों में निर्धारित शिक्षा के स्तर को मानकीकृत करना है। मदरसा अधिनियम मदरसों के दिन-प्रतिदिन के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करता है। इसका उद्देश्य उत्तर प्रदेश राज्य (uttar pradesh)में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना है और यह राज्य के सकारात्मक दायित्व के अनुरूप है, जो यह सुनिश्चित करता है कि छात्र उत्तीर्ण हों और एक सभ्य जीवन जीएं। सुप्रीम कोर्ट Supreme Court के इस फैसले से यूपी के 16000 से अधिक मदरसों में पढ़ने वाले 17 लाख छात्रों के भविष्य पर असर पड़ेगा।
क्या है UP Madarsa Board Act 2024 ?
उत्तर प्रदेश में मदरसा शिक्षा को सुव्यवस्थित और संरचित करने के उद्देश्य से 2004 में एक विशेष कानून बनाया गया था, जिसे यूपी मदरसा बोर्ड अधिनियम UP Madarsa Board Act के नाम से जाना जाता है। इस कानून के तहत उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड की स्थापना की गई, जिसका मुख्य उद्देश्य राज्य में संचालित मदरसों की शिक्षा का प्रबंधन और नियोजन करना है। इस अधिनियम में पारंपरिक इस्लामी शिक्षा जैसे अरबी, उर्दू, फारसी, इस्लामिक अध्ययन, तिब्ब (यानी पारंपरिक चिकित्सा) और दर्शन को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। यह कानून मदरसों को एक संरचित पाठ्यक्रम के अनुसार संचालित करने की रूपरेखा प्रदान करता है, ताकि धार्मिक और सांस्कृतिक अध्ययन के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा को भी शामिल किया जा सके।
25 हजार मदरसों में से 16 हजार मदरसों को मान्यता प्राप्त है।
आपको बता दूं सरकारी आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में तकरीबन 25,000 मदरसे संचालित हो रहे हैं , जिनमें से केवल 16,000 मदरसों को यूपी मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त है। इसके अलावा करीब साढ़े आठ हजार मदरसे ऐसे हैं, जिन्हें अभी तक मदरसा बोर्ड से मान्यता नहीं मिली है। उच्च शिक्षा के स्तर पर, मदरसा बोर्ड ‘कामिल’ नामक स्नातक की डिग्री और ‘फाज़िल’ नामक स्नातकोत्तर डिग्री प्रदान करता है। इसके अलावा, पारंपरिक शिक्षा ‘कारी’ नामक डिप्लोमा भी प्रदान करती है, जो कुरान को सुनाने और पढ़ाने में विशेषज्ञता को प्रमाणित करता है।