सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस मामले पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया। दरअसल एक याचिकाकर्ता ने कोर्ट में हाथरस मामले पर सुनवाई के लिए जनहित याचिका लगाई थी। अदालत ने याचिका कर्ता हाई कोर्ट का रूख करने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस मामले पर एक याचिका को सुनने से इंकार कर दिया। अदालत ने याचिकाकर्ता से सुप्रीम कोर्ट का रुख करने को कहा। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने हाथरस घटना को गंभीर बताया और कहा कि उच्च न्यायालय इसके लिए सक्षम है.
याचिकाकर्ता ने अदालत में यह दलील दी कि उत्तर प्रदेश के हाथरस में जो भगदड़ हुई उसके लिए उत्तरप्रदेश सरकार , नगरनिगम और स्थानीय प्रशासन जिम्मेदार है. प्रशासन निगरानी बनाए रखने और व्यवस्था बरकरार रखने में विफल रही। याचिका में कोर्ट से उत्तर प्रदेश सरकार को स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने तथा सुरक्षा एवं भीड़ नियंत्रण उपायों के संबंध में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया। याचिका में राज्यों से बड़ी सभाओं के दौरान भगदड़ को रोकने और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की भी मांग की गई। साथ ही, ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी आह्वान किया गया।
क्या है पूरा मामला?
उत्तर प्रदेश के हाथरस में 2 जुलाई को हुई भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गयी थी। नारायण सरकार हरि उर्फ़ भोले बाबा के सत्संग में यह भगदड़ हुई। इसी पूरे मामले को लेकर याचिकाकर्ता शीर्ष अदालत पहुंचा था. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ नें मामले की गंभीरता को समझ कर याचिका कर्ता से उच्च न्यायालय का रुख करने को कहा।