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Tirupati Laddu Case : सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए SIT गठित करने के दिए आदेश।

Tirupati Laddu Case : तिरुपति प्रसादम विवाद की स्वतंत्र जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पांच सदस्यीय नई एसआईटी का गठन किया है। यानी कोर्ट ने राज्य की एसआईटी को खत्म कर दिया है। अब इस मामले की जांच करने वाली नई एसआईटी में दो सीबीआई अधिकारी होंगे। इसके अलावा राज्य पुलिस के दो लोग और एफएसएसएसएआई का एक अधिकारी टीम में होगा। कोर्ट ने यह आदेश देते हुए साफ किया कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। हालांकि सॉलिसिटर जनरल ने पुरानी एसआईटी पर भरोसा जताया था, लेकिन कोर्ट ने नई एसआईटी का गठन किया।

कोर्ट ने आदेश देते हुए क्या कहा? Tirupati Laddu Case

सुप्रीम कोर्ट ने कहा भगवान में आस्था रखने वाले करोड़ों लोगों की भावनाओं की कद्र करते हुए आज हम एसआईटी गठित करने का निर्देश देते हैं। कोर्ट ने सीबीआई के 2, एपी स्टेट पुलिस के 2 और एफएसएसएआई के एक सदस्य की एसआईटी गठित की है। जस्टिस बीआर गवई ने सुनवाई के दौरान कहा कि आरोपों से पूरी दुनिया के लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। हम नहीं चाहते कि यह मामला राजनीतिक ड्रामा बने। अगर स्वतंत्र संस्था मामले की जांच करेगी तो लोगों में विश्वास पैदा होगा।

हम इस मामले में ड्रामा नहीं चाहते- सुप्रीम कोर्ट

सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा कि हम नहीं चाहते कि यह राजनीतिक ड्रामा बने। स्वतंत्र संस्था होगी तो विश्वास पैदा होगा। कल यानी बुधवार को इस मामले की सुनवाई टल गई थी। एसजी तुषार मेहता ने कहा था कि केंद्र का जवाब शुक्रवार को पेश किया जाएगा, इसलिए इस मामले की सुनवाई एक दिन के लिए टाल दी गई थी।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?Tirupati Laddu Case

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पूछा कि क्या राज्य सरकार की एसआईटी ही काफी है या फिर जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी को सौंप देनी चाहिए। एसजी ने कहा कि मैंने इस मामले को देखा। एक बात साफ है कि अगर इस आरोप में सच्चाई का कोई तत्व है तो यह अस्वीकार्य है। मुझे एसआईटी के सदस्यों के खिलाफ कुछ नहीं मिला।

एसआईटी की निगरानी किसी वरिष्ठ अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए: एसजी

एसजी ने कहा कि एसआईटी की निगरानी किसी वरिष्ठ केंद्रीय अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए। इससे विश्वास बढ़ेगा। जस्टिस गवई ने कहा कि हमने अखबार में पढ़ा है कि अगर जांच होती है तो मुख्यमंत्री को कोई आपत्ति नहीं है। रोहतगी ने कहा कि हम एसआईटी के साथ जाना चाहते हैं। आप अपनी पसंद के किसी भी अधिकारी को शामिल कर सकते हैं।

कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में स्वतंत्र जांच होनी चाहिए। Tirupati Laddu Case

याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में स्वतंत्र जांच हो तो उचित होगा। अगर उन्होंने बयान नहीं दिया होता तो बात अलग होती। इसका असर पड़ता है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा गठित एसआईटी के सदस्यों पर भरोसा है जो मामले की जांच कर रहे हैं। एसजी ने कहा कि उनकी सलाह है कि एसआईटी जांच की निगरानी केंद्र सरकार के किसी वरिष्ठ अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए।

क्या है तिरुपति लड्डू विवाद? Tirupati Laddu Case

दरअसल, इस महीने की शुरुआत में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया था कि राज्य में पिछली सरकार के कार्यकाल दौरान तिरुपति में लड्डू तैयार करने के लिए जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता था। नायडू के इस बयान के बाद बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। सुप्रीम कोर्ट में तीन से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई थीं। याचिका दायर करने वालों में सुब्रमण्यम स्वामी, राज्यसभा सांसद वाईवी सुब्बा रेड्डी और इतिहासकार विक्रम संपत शामिल हैं। इस मामले की सुनवाई 30 सितंबर को हुई थी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी। शीर्ष अदालत ने कहा था कि कम से कम इस मामले में भगवान को राजनीति से दूर रखें।

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