मैरिटल रेप के मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस चंद्रचूड़ का बड़ा एलान उन्होने कहा कानून के नज़रिये से पत्नी के साथ एनल सेक्स को रेप का दर्जा नहीं दिया जा सकता। याचिका डालने वालों ने कहा की अगर कोई व्यक्ति शादी के बाद अपनी पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाने के लिए उसे मज़बूर करता है उसके लिए कानून होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट मैरिटल रेप के मामले में गुरुवार को सुनवाई करेगा।
इस पूरे मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया ( Chief Justice Of India D.Y Chandrachud ) और उनकी पूरी बेंच मिलकर करेगी जिसमे जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल है। सुनवाई के समय जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा का भारतीय संविधान का एक्सेप्शन 2 कहता है की विवाह के बाद अपनी पत्नी के साथ एनल सेक्स को रेप घोषित नहीं किया जा सकता।
कोर्ट रूम…………
Justice D.Y chandrachud : जब किसी व्यक्ति की पत्नी की आयु 18 वर्ष से कम है तो इसे रेप घोषित किया जायेगा ,लेकिन पत्नी की आयु अगर 18 वर्ष से अधिक है तो इसे रेप का दर्जा नहीं दिया जायेगा। यही BNS और IPC में अंतर है।
Advocate Karuna Nundy : एनल सेक्स एक ‘योन क्रिया’ नहीं है फिर इसे एक्सेप्शन 2 में क्यों रखा गया है। यदि पति एनल सेक्स करता है तो उसे एक्सेप्शन 2 के तहत छूट दी जाती है।
Justice D.Y chandrachud :कानून कहता है की चाहे वो वजाइनल सेक्स हो या एनल सेक्स हो जबतक वो विवाह के अंतर्गत किया जा रहा है उसे रेप नहीं कहा जा सकता।
Advocate Karuna Nundy : धारा 63 ( A ) यह कहता है की यदि कोई पुरुष किसी दूसरे पुरुष का लिंग किसी महिला के योनि ,मुँह आदि में डालता है तो उसे भी बलात्कार में रखा जाएगा।
Justice D.Y chandrachud : लेकिन यह एक्सेप्शन के अंडर नहीं आएगा।
justice pardiwala: ‘योन क्रिया’ शब्द को बेहतर तरीके से नहीं समझाया गया है? चलिए मान लीजिये की कोई पति पत्नी को किसी अन्य पुरुष के साथ संबंध बनाने के लिए मज़बूर करता है तो यह एक्सेप्शन 2 के अंडर आएगा ? नहीं वो नहीं आएगा।
Advocate Karuna Nundy : नहीं यह अपवाद के अंडर आएगा।
Supreme Court : नहीं यह बिलकुल गलत व्याख्या है।
Justice D.Y chandrachud :यदि हम एक्सेप्शन 2 को निरस्त कर देते है तो आपको हमें ये बताना होगा की क्या हम इसे अलग अपराध मान रहे है।.
Advocate Karuna Nundy :यदि किसी औरत के साथ उसके पति ,कोई अन्य पुरुष या तलाखशुदा पति के द्वारा जबरदस्ती कोई संबंध बनाया जाता है तो वह बलात्कार ही है। अगर कोई महिला लिव इन रिश्ते में रह रही है और उसके साथ बिना उसके कंसेंट से सेक्स किया जाता है तो वह भी रेप है, लेकिन यही दुर्घटना अगर किसी शादी शुदा महिला के साथ हो रही हैं तो उसे बलात्कार क्यों नहीं कहा जा रहा हैं ?
Justice D.Y chandrachud :केंद्र सरकार ने यह कहा है की ,पति और पत्नी के बीच बिना इजाजत के संबंध बनाने को अगर हमने अपराध घोषित कर दिया तो यह विवाह संस्था के खिलाफ़ होगा । इस पर आप क्या सोचती है ?
Advocate Karuna Nundy : एक बहुत पुराने केस ( केएस पुटटुस्वामी मुद्दे ) में यह माना गया था कि निजता के आड़ में किसी महिला के फंडामेंटल अधिकार का हनन हो या लिंग से जुड़ी कोई हिंसा हो किसी भी तरीके से नहीं की जा सकती।
मैरिटल रेप का मामला हैदराबाद कोर्ट से हाई कोर्ट में कैसे पंहुचा ?
मैरिटल रेप मामले की सुनवाई की माँग काफी समय से की जा रही है। याचिका डालने वाले चाहते है की मेरिटल रेप के लिए कानून में आरक्षण दिया जाए। इस मामले की सुनवाई कल यानि गुरुवार को होगी। पिछले 2 वर्षों से कर्नाटका और दिल्ली हाइकोर्ट के एलान आने के बाद इस मामले की सुनवाई की मांग और ज्यादा बढ़ गयी है। सुप्रीम कोर्ट में दो महत्वपूर्ण याचिका दी गयी है जिसकी सुनवाई हो रही है। एक याचिका पति की तरफ से लगाई गयी है और दूसरी अन्य एक मुद्दे में किसी महिला के द्वारा लगाई गयी है।