Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष करने की मांग पर अंतरिम राहत प्रदान की है। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि फिलहाल इन अधिकारियों को 60 वर्ष की आयु पूरी होने पर सेवानिवृत्त न किया जाए। अब ये अधिकारी 62 वर्ष की आयु तक कार्य कर सकेंगे, जब तक मामले का अंतिम निर्णय नहीं हो जाता।
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मध्य प्रदेश के न्यायिक अधिकारियों (जिला जजों) की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 61 वर्ष कर दी। यह फैसला अंतरिम आदेश के रूप में दिया गया है।
दोनों पक्षों का एक ही खजाना, फिर भेदभाव क्यों?
चीफ जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की तीन सदस्यीय पीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि राज्य सरकार के अन्य कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु 62 वर्ष है और उनका वेतन भी उसी सरकारी खजाने से आता है, जिससे न्यायिक अधिकारियों का आता है।
पीठ ने पूछा, “जब राज्य सरकार तैयार है और कोई कानूनी अड़चन नहीं है, तो न्यायिक अधिकारियों को यह राहत क्यों नहीं दी जानी चाहिए?”कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट के समान फैसले का हवाला देते हुए कहा कि हाईकोर्ट जज 62 वर्ष में रिटायर होते हैं, जबकि जिला जजों और हाईकोर्ट जजों के बीच पहले से ही एक साल का अंतर रहता आया है। अब यह अंतर कम हो जाएगा।
चार हफ्ते बाद अंतिम सुनवाई
पीठ ने याचिका पर अंतिम सुनवाई के लिए चार हफ्ते बाद की तारीख तय की है। तब तक अंतरिम आदेश लागू रहेगा, यानी मध्य प्रदेश में जिला जज अब 61 वर्ष की आयु में रिटायर होंगे।
हाईकोर्ट की ओर से विरोध
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने आयु सीमा बढ़ाने का विरोध किया। उनका कहना था कि यह कदम उचित नहीं होगा। इससे पहले 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार और हाईकोर्ट रजिस्ट्री से जवाब तलब किया था। कोर्ट ने 26 मई को भी स्पष्ट किया था कि सेवानिवृत्ति आयु 61 वर्ष करने में कोई कानूनी बाधा नहीं है। इस फैसले से मध्य प्रदेश के सैकड़ों न्यायिक अधिकारियों को तत्काल राहत मिलेगी और लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी होगी। अंतिम फैसला आने के बाद स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी।

