Supreme Court on Electoral Bond Case: सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की समय बढ़ाने की अर्जी ख़ारिज कर दी है. कोर्ट ने आदेश दिया कि एसबीआई को 12 मार्च तक अपना सारा डेटा सार्वजनिक करते हुए चुनाव आयोग के हवाले करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की समय बढ़ाने की अर्जी ख़ारिज कर दी है. कोर्ट ने आदेश दिया कि एसबीआई 12 मार्च की शाम तक अपना सारा डेटा सार्वजनिक करते हुए चुनाव आयोग के हवाले करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि SBI को 12 मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा डेटा इलेक्शन कमीशन को देना होगा और 15 मार्च इलेक्शन कमीशन इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित डेटा पब्लिश करेगा।
दरअसल SBI की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पादरीवाला, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, और जस्टिस मनोज मिश्रा की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 11 मार्च सुनवाई की. इस मामले एसबीआई की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने दलील दी कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने की तारीख और खरीदने वाले का नाम एक साथ उपलब्ध नहीं है, उसे कोड किया गया है. उसे डिकोड करने में समय लगेगा। इसलिए स्टेट बैंक ने 30 जून तक का समय मांगा है.
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि क्या बैंक ने बॉन्ड खरीदने वालों का KYC करवाया है? इस पर साल्वे ने बताया गया कि ये बैंक के पास सब जानकारी है कि ये बॉन्ड्स किसने खरीदे, किस राजनीतिक पार्टी को गया है. यह बताना आसान है, लेकिन बॉन्ड नंबर के साथ नाम बताने में समय लगेगा।
इस पर पांच जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे सीजेआई चंद्रचूड़ ने उनसे सवाल किया कि हमारे आदेश देने के 26 दिनों बाद तक आपने क्या किया? इसके साथ ही उन्होंने बेहद गंभीर मामला करार देते हुए कहा कि यह संविधान पीठ के आदेश है. आपको कोर्ट के आदेश के मुताबिक काम करना होगा। आपको चुनाव आयोग के साथ जानकारी साझा करनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच में शामिल जस्टिस संजीव खन्ना ने सवाल किया कि एसबीआई को बस सील्ड कवर को खोलना है, तो इसमें दिक्कत कहां है? इस पर साल्वे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से एक स्पष्टीकरण चाहते हैं. बॉन्ड का नंबर, नाम और कितने का बॉन्ड है ये जानकारी हम अगले तीन हफ्ते में दे सकते हैं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सारी दलीलें ख़ारिज कर दी और एसबीआई को 12 मार्च की शाम तक इलेक्टोरल बॉन्ड्स पर सारा डेटा सार्वजनिक करने और इसे चुनाव आयोग के हवाले करने का आदेश दिया।