Sunidhi Chauhan Life Interesting Facts In Hindi: जब उन्होंने गाया रुकी रुकी सी ज़िंदगी झट से चल पड़ी तो उनकी ज़िंदगी में भी गीतों की गाड़ी यूं चल पड़ी कि आज तक उसी रफ्तार से भाग रही है उनकी बुलंद आवाज़ में सुरों का दमदार उतार चढ़ाव मानो हम सबको जोश से लबरेज़ कर देने का माद्दा रखता है ।
रियलिटी शो जीतकर आईं फिल्मों में
जी हां हम बात कर रहे हैं सुनिधि चौहान की, जो रियलिटी म्यूज़िक शो ‘ मेरी आवाज़’ सुनो की विजेता बनकर सुर्खियों में आईं , जहाँ उन्हें भारत की सर्वश्रेष्ठ महिला गायिका के लिए “लता मंगेशकर ट्रॉफी” से सम्मानित किया गया वो भी लता जी के हाथों से जिनके गाने सुनकर सुनिधि ने गाना सीखा था। सुनिधि ने अपने करियर की शुरुआत ग्यारह साल की उम्र में, उदित नारायण के साथ फिल्म के गीत “लड़की दीवानी देखो” गाके की थी ,उनका पहला एल्बम, ‘ ऐरा ग़ैरा नत्थू खैरा’ बच्चों के लिए ही था। फिर आई फिल्म ‘शस्त्र ‘ जिसमें गाने गाकर सुनिधि ने अपनी दमदार आवाज़ से दिल संगीत में धूम मचा दी ,और इसके बाद 1999 की ‘मस्त’ फिल्म के गीत ‘रुकी रुकी सी ज़िंदगी …’गाकर सबकी चहीती गायिका बन गईं।
बीड़ी जलइले गाकर जीता पहला फिल्म फेयर अवॉर्ड
दिल्ली में जन्मी, सुनिधि क़रीब 4-5 साल की उम्र से स्टेज परफार्मेंस देने लगीं थीं और उन्हें नई संगीत प्रतिभा के लिए फिल्मफेयर में आरडी बर्मन पुरस्कार मिला था , वो बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं, और शायद यही वजह है कि सन 2000 में उनके गाए फिल्म ‘फिज़ा’ के गीत “मेहबूब मेरे” ने वो जादू चलाया जिसकी गिरफ्त में हम आज भी हैं ,2006 में, उन्हें ‘ओमकारा ‘के गीत “बीड़ी जलइले” को गाने के लिए अपना पहला फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीता।
यह भी पढ़ें: Quit India Movement In Rewa | विंध्य में 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन का इतिहास
चल पड़ा कमियाबी का सिलसिला
2010 में, उन्हें गीत ‘शीला की जवानी ‘(2010) के लिए अपना दूसरा फिल्मफेयर पुरस्कार मिला एक के बाद एक तीन फिल्म फेयर पुरस्कार उन्होंने जीते हैं , इसके अलावा नामांकन की बात करें तो उन्हें धूम (2004) के गीत “धूम मचाले” के लिए फ़िल्मफ़ेयर नामांकन मिला, इसके बाद अगले वर्ष ‘परिणीता ‘के ‘गीत कैसी पहेली’ और ‘दस ‘(2005) के ‘दीदार दे’ गीत के लिए दो और नामांकन मिले और फिल्म ‘अक्सर ‘के ‘सोनिये’और ’36 चाइना टाउन’ के गीत ‘आशिकी’ में दो और नामांकन मिले। अगले साल , ‘आजा नचले ‘(2007) और ‘सजना जी वारी ‘ का शीर्षक गीत रिकॉर्ड किया, जिसे समीक्षकों ने भी खूब सराहा फिर ‘रब ने बना दी जोड़ी’ (2008) के ‘डांस पे चांस’ से पहले ‘लव आज कल ‘(2009) के ‘चोर बाज़ारी’ के लिए अपना बारहवां फिल्मफेयर नामांकन मिला।
गाने सुनकर सीखा गाना और पहुंची तबस्सुम के शो में
14 अगस्त 1983 को नई दिल्ली में पैदा हुईं सुनिधि राजपूत परिवार से ताल्लुक रखती हैं उनके पिता दुष्यंत कुमार चौहान, उत्तर प्रदेश से हैं और श्रीराम भारतीय कला केंद्र से जुड़े हैं जब सुनिधि छोटी थी तो अपने पसंदीदा गानों के कैसेट सुनकर रोज़ाना खुद ही रियाज़ करती थी, गाने में इतनी दिल चस्पी थी कि स्कूल के बाद पूरी तरह से संगीत को समय देने लगी Mएक बार अभिनेत्री तबस्सुम ने उन्हें देखा, और अपने शो तबस्सुम हिट परेड में लाइव गाने को कहा फिर उन्होंने सुनिधि को संगीतकार,कल्याणजी विरजी शाह और आनंदजी विरजी शाह से मिलवाया ।
कल्याणजी ने उनका नाम सुनिधि रखा
यहां हम आपको ये बताते चले कि पहले वो निधि थी फिर कल्याणजी ने ही उनका नाम सुनिधि रख दिया क्योंकि उन्हें लगा कि यह एक भाग्यशाली नाम है। जब वह ११ साल की थी, तब उनका परिवार मुंबई आया था और पापा कल्याणजी की अकादमी में काम करने लगे थे और सुनिधि उनके “लिटिल वंडर्स” ग्रुप की लीड सिंगर बन गईं। 1995 में, सुनिधि ने इसी ग्रुप के साथ 40वें फिल्मफेयर पुरस्कार समारोह में एक प्रस्तुति भी दी थी , तब दिवंगत संगीत निर्देशक आदेश श्रीवास्तव ने उन्हें सुना और फिल्म
‘शस्त्र’ में गाने के लिए चुना ।
यह भी पढ़ें: Jessica Dolphin Accident Is Real or Fake In Hindi: अचानक मरीन ट्रेनर पर हमला कर दी किलर व्हेल, जानें की सच्चाई
बकायदा शास्त्रीयता संगीत सीखा
संगीत का आधार शास्त्रीयता ही है इसलिए उन्होंने गौतम मुखर्जी से शास्त्रीय गायन में बकायदा तालीम हासिल की और तब से जो निखार उनके अंदर आया उसका असर उनके गाए हर गीत में दिखता है और हम दुआ करते हैं कि वो ऐसे ही अपने नग़्मों से हमें लुत्फ अंदोज़ करती रहें।
देश ही नहीं विदेश में भी चलाया अपनी सिंगिंग का जादू
फिल्म फेयर में 2010 की फिल्म ‘गुज़ारिश’ के अंतर्राष्ट्रीय शैली के कार्निवल गीत “उड़ी” के लिए नामांकित किया गया इस फेहरिस्त में ऐसे और भी कई गाने हैं जिनके लिए उन्होंने खूब वाह वाही बटोरी वहीं इस वर्ष उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय तौर पर गाने की शुरुआत की, जहाँ वो एनरिक इग्लेसियस के गीत ” हार्टबीट ” के एक संस्करण में दिखाई दीं। प्ले बैक सिंगिंग के अलावा, वो हमें कई टेलीविज़न रियलिटी शो में जज के रूप में भी नज़र आती हैं तो कभी-कभी अपने म्यूजिक वीडियो में भी दिखाई देती हैं। वो फोर्ब्स सेलिब्रिटी 100 ऑफ़ इंडिया में (2012-2015) तक शामिल रहीं ।
उनके सुरों की खनक कई भाषाओं में सुनाई दी
वो सभी भारतीय भाषाओं के अलावा इंग्लिश में भी क़रीब 2000 से ज़्यादा गाने गा चुकी हैं और उसी जोश के साथ अपने मुख्तलिफ अंदाज़ में गायकी को और निखारती जा रही हैं अपनी इसी शिद्दत की बदौलत गीत- ‘ भागे रे मन’ ,’ महबूब मेरे ‘ और ‘साक़ी साकी़ ‘ गा कर उन्होंने अपने करियर की शुरुआत में ही एक खूबसूरत मकाम हासिल कर लिया ।