आत्महत्या के आंकड़े चौकाने वाले, हर सेंकड में मौत, वैश्विक स्तर पर हर वर्ष 7,20,000 लोग कर रहे सुसाइड

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस। हर वर्ष, वैश्विक स्तर पर 7,20,000 से अधिक लोग आत्महत्या के कारण अपनी जान गंवा रहे है। जिससे भारी मानसिक, सामाजिक और आर्थिक प्रभाव उत्पन्न होते हैं। इस लगातार बढ़ती संकट की स्थिति के जवाब में, विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस हर साल 10 सितंबर को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य है कि आत्महत्याओं के कारण को जानना और लोगो को आत्महत्या की रोकथाम के लिए जागरूक करना है।

ऐसे हुई विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की शुरूआत

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की शुरुआत 2003 में इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से की गई थी। इस दिवस का उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना, कलंक कम करना और समुदाय, संस्थागत और सरकारी स्तर पर सक्रिय कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करना है। 2024-2026 की त्रिवार्षिक थीम, आत्महत्या पर दृष्टिकोण बदलना समाज में मौन और कलंक की बजाय खुलापन, सहानुभूति और सक्रिय समर्थन को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक रूप से सोच बदलने का संदेश देती है।

15-29 वर्ष की आयु के युवाओं में सुसाइड ज्यादा

वैश्विक स्तर पर, 15-29 वर्ष की आयु के युवाओं में मौत का कारण आत्महत्या बनी हुई हैं। ये आंकड़े सशक्त रोकथाम रणनीतियों और सार्वजनिक सहभागिता की आवश्यकता को दर्शाते हैं। भारत वैश्विक आत्महत्या बोझ में महत्वपूर्ण हिस्सा रखता है। लगभग एक-तिहाई महिला एवं एक-चौथाई पुरुषों की मौत का कारण आत्महत्या है।

भारत की आत्महत्या रोकथाम रणनीति

भारत ने 2022 में अपनी पहली राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति शुरू की, जिसका उद्देश्य है, कि 2030 तक आत्महत्या मृत्यु दर में 10 प्रतिशत की कमी लाना है। इसके लिए बहु-क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सामाजिक कल्याण में आत्महत्या रोकथाम को एकीकृत करना है। इसके लिए टेली-मैनस, एक राष्ट्रीय 24×7 टेली-मानसिक स्वास्थ्य सेवा, 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 53 सेल संचालित किया गया है। जिसके माध्यम से अब तक 10 लाख से अधिक कॉल का निपटान किया गया

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