विशेष। 14 अगस्त हो भगवान बलराम की जंयती हलष्ठी के रूम में मनाई जा रही है। इस तिथी को भगवान बलराम का जन्म माना जाता है। भगवान बलराम शेषनाग का अवतार थे और उन्हें श्रीकृष्ण के सहयोगी के रूप में जन्म लेना ही था। इसलिए, श्रीकृष्ण के बड़े भाई के रूप में उनका जन्म एक अद्भुत और दिव्य घटना के रूप में हुआ। उनके जन्म की कथा श्रीमद्भागवत महापुराण, हरिवंश पुराण और अन्य ग्रंथों में वर्णित है। जिसके अनुसार, देवकी के पति वसुदेव की दो पत्नियाँ थीं, देवकी और रोहिणी। कंस के डर से, भगवान विष्णु की योगमाया शक्ति ने देवकी के सातवें गर्भ को अदृश्य कर दिया और उसे रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया। इसलिए, बलराम जी को संकर्षण अवतार भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है गर्भ का स्थानांतरण।
रोहिणी के गर्भ से बलराम का हुआ जन्म
माता रोहिणी गोकुल में नंद बाबा के पास रह रही थीं। रोहिणी के गर्भ से बलराम जी का जन्म हुआ। बलराम अपने छोटे भाई कृष्ण के साथ अपने पालक-माता-पिता के साथ, नंद और उनकी पत्नी यशोदा के घर में बड़े हुए। बलराम जी का रंग गोरा था, इसलिए उन्हें ‘बलभद्र’, ‘बलदाऊ’ और ‘दाऊ जी’ के नाम से भी जाना जाता है। बलराम जी के नाम में ही बल है क्योंकि वे अत्यधिक शक्तिशाली थे। वे हल लेकर चलते थे, इसलिए उन्हें हलधर कहा जाता है। उन्होंने कृष्ण के साथ मिलकर कंस का नाश किया और धर्म की स्थापना में सहायता की। बलराम जी ने महाभारत में युद्ध नहीं किया, बल्कि तटस्थ रहकर धर्म का पालन किया। वे कृषि, शक्ति और धर्म के संरक्षक माने जाते हैं। बलराम के सगे सात भाई थे और एक बहन सुभद्रा थी, चित्रा।