Aatm Manthan: दुनिया में सबके काम कुछ एक ही तरह के हैं, क़रीब – क़रीब एक ही तरह की सबकी जीवन शैली है पर अपने – अपने जुटाए संसाधनों के हिसाब से, आसान या मुश्किल है , इसके बावजूद भी हम सबकी ज़रूरतें एक दूसरे से मिलती जुलती हैं फिर क्यों किसी के काम की वाह वाही होती है ,उसे नाम मिलता है और उसी काम से बहोत जल्दी उसे पहचान भी मिल जाती है और कोई उसी काम को बरसों भी कर ले तो भी कोई पहचान नहीं बना पाता ,शायद आप समझ गए होंगे ऐसा क्यों होता है ,जी हां क्योंकि सबके काम करने का तरीक़ा अलग होता है ,जिसकी वजह से एक फील्ड के लोगों में कॉम्पटीशन होता है और किसी काम को सबसे अच्छी तरह से करने और अंजाम देने वालों की मांग बढ़ती है जो हमें इज़्ज़त और शोहरत दिलाती है वहीं अगर हम बाज़ार या व्यापार की बात करें तो ये हमें दौलत भी दिलाती है ,जिसकी चाहत हर मेहनत कश को होती है।
पाने की चाहत हो तो देना सीखें –
अगर कुछ पाने की चाहत हो तो आगे बढ़ के पहले कुछ देना पड़ता है ,कहीं भी कभी भी फिर बराबरी होती है कि हमने जो दिया उसके बदले में हमें क्या मिला , हालाँकि ये हमारे कार्यक्षेत्र पर निर्भर करता है कि हमने क्या लगाया है और हम बदले में किसकी आशा करते हैं लेकिन घर हो या बाहर हर जगह हमारे कर्म और शैली मायने रखते हैं क्योंकि उसके अनुरूप ही हमें फल मिलता है और यही है जिसकी वजह से कभी-कभी इस दुनियां को समझना इतना मुश्किल हो जाता है कि हमारा बहोत कुछ काम या कोशिशें बेकार भी हो जाती हैं शायद बर्बादी की एक वजह ये भी होती है कि हम बहोत जल्दबाज़ी कर देते हैं, न खुद को बनाने में उतना समय दे पाते हैं न दुनिया को समझने में और निकल पड़ते हैं इम्तेहान लेने या देने।
तो कैसे करें अपने काम को बेहतर और मुख्तलिफ –
देखिए काम तो हमें करना ही है तो क्यों न उसे दिल लगा कर किया जाए ,अपने काम से खुद को ख़ुश करने की कोशिश की जाए फिर किसी और को ,क्योंकि पहले हम अपने काम से खुश होंगे आनंदित होंगे तभी तो दुनिया से ये उम्मीद कर पाएंगे कि उसे भी हमारा काम अच्छा लगेगा।
इसलिए जितना हो सके अपने काम को बेहतर बनाने की कोशिश करें, दुनिया से जुदा एक अलग पहचान देने की कोशिश करें , याद रखें कि हमारी कार्यशैली का प्रभाव हमारे व्यक्तित्व पर भी पड़ता है और अपने काम को बेहतर बनाने से उसे बार – बार करने से हमें जो अनुभव का पिटारा मिलता है, वहीं हमें सफलता के नए आयाम आसानी से पार करवाता है ।
तो ग़ौर ज़रूर करिएगा इस बात पर फिर मिलेंगे आत्म मंथन की अगली कड़ी में धन्यवाद।