Subhas Chandra Bose Jayanti 2025 | सुभाषचंद्र बोस, यानि की ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा’ जैसा जोशीला नारा देने वाले भारत के स्वतंत्रता संग्राम के ‘नेता जी’, आज उनकी जयंती पर उन्हें स्मरण करते हुए हम बताएंगे कि “नेता जी” किस तरह विंध्य के युवाओं के आइकॉन और आदर्श बने।
विंध्य से उनका ऐसा कौन सा खास रिश्ता रहा है कि हम आज भी उन्हें याद करते हुए रोमांचित हो जाते हैं। लेकिन उससे पहले जानते हैं कांग्रेस की राजनीति का वो घटना क्रम जिसे देश ‘त्रिपुरी अधिवेशन’ के नाम से जानता है।
त्रिपुरी अधिवेशन इसलिए इतिहास के पन्नों पर दर्ज है, क्योंकि नेता जी की जीत को महात्मा गांधी ने अपनी निजी हार मानी थी। वर्ष 1938 समाप्त होने वाला था, विश्वजगत पर युद्ध के बादल छाए हुए थे, म्युनिख एग्रीमेंट के फलस्वरूप उस वर्ष युद्ध तो नहीं हुआ, लेकिन ब्रिटिश सरकार की इस नीति से कांग्रेस सहमत नहीं थी। बाह्य समस्यायों के साथ ही देश में बहुत अंदरूनी समस्याएं भी थीं, इधर कांग्रेस जनों में इस वर्ष होने वाले अध्यक्ष के चुनाव को लेकर हलचल थी।
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गत वर्ष हुए कांग्रेस के हरिपुरा अधिवेशन में सुभाषचंद्र बोस अध्यक्ष बने थे, इस वर्ष अध्यक्ष कौन बनेगा ? क्या नामों को भेजा जा चुका है? क्या चुनाव होगा या केंद्रीय नेतृत्व ने सब कुछ पहले से ही तय कर लिया है? कई लोग यह भी सोचते थे, जब पंडित जवाहरलाल नेहरू तीन बार अध्यक्ष बन सकते हैं तो सुभाष बाबू क्यों नहीं?