Subhadra Kumari Chauhan Death Anniversary | राष्ट्रगौरव की प्रवाचक: सुभद्राकुमारी चौहान

Subhadra Kumari Chauhan Death Anniversary

Subhadra Kumari Chauhan Death Anniversary | सुभद्रा कुमारी चौहान को वसंत बहुत प्रिय था, लेकिन वे इसमें रूमानियत नहीं शौर्य और करुणा देखती थीं। देश में सबसे ज्यादा पढ़ी और उद्धृत की जाने वाली महान रचनाकार सुभद्राजी की “जलियाँवाला बाग में वसंत” कविता करुण रस की पराकाष्ठा है तो ‘वीरों का कैसा हो वसंत’ कविता तन-मन झंकृत कर देती है। आज उनकी पुण्यतिथि है..आइए उनकी इस कविता के साथ नमन करें…

वीरों का कैसा हो वसंत

आ रही हिमालय से पुकार
है उदधि गरजता बार बार
प्राची पश्चिम भू नभ अपार;
सब पूछ रहें हैं दिग-दिगन्त
वीरों का कैसा हो वसंत

फूली सरसों ने दिया रंग
मधु लेकर आ पहुंचा अनंग
वधु वसुधा पुलकित अंग अंग;
है वीर वेश में किन्तु कंत
वीरों का कैसा हो वसंत

भर रही कोकिला इधर तान
मारू बाजे पर उधर गान
है रंग और रण का विधान;
मिलने को आए आदि अंत
वीरों का कैसा हो वसंत

गलबाहें हों या कृपाण
चलचितवन हो या धनुषबाण
हो रसविलास या दलितत्राण;
अब यही समस्या है दुरंत
वीरों का कैसा हो वसंत

कह दे अतीत अब मौन त्याग
लंके तुझमें क्यों लगी आग
ऐ कुरुक्षेत्र अब जाग जाग;
बतला अपने अनुभव अनंत
वीरों का कैसा हो वसंत

हल्दीघाटी के शिला खण्ड
ऐ दुर्ग सिंहगढ़ के प्रचंड
राणा ताना का कर घमंड;
दो जगा आज स्मृतियां ज्वलंत
वीरों का कैसा हो वसंत

भूषण अथवा कवि चंद नहीं
बिजली भर दे वह छन्द नहीं
है कलम बंधी स्वच्छंद नहीं;
फिर हमें बताए कौन हन्त
वीरों का कैसा हो वसंत

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