छात्रा के गले में टंगा आईकार्ड उसी की एक्टिवा के हैंडल में फंस गया और दम घुटने से उसकी मौत हो गई. एरोड्रम पुलिस के अनुसार हादसा शीतला माता मंदिर के सामने हुआ है. शैजल कॉलेज के फर्स्ट ईयर की छात्रा थी और डॉक्टर बनने के लिए नीट की तैयारी कर रही थी. वह प्राइवेट नौकरी भी करती थी. उसके परिवार में माता-पिता के अलावा दो बहन और एक भाई है. पिता उज्जैन में ईओडब्ल्यू ऑफिस में कांस्टेबल हैं
इंदौर में चलती गाड़ी पर फांसी लगने का चौकाने वाला मामला सामने आया है, जिसे देखकर पुलिस और डॉक्टर भी हैरत में हैं. शैजल (19) पिता राकेश जटिया निवासी उमंग पार्क कॉलोनी 4 अप्रैल की सुबह होलकर कॉलेज जा रही थी. छोटा बांगड़दा में लगभग 10:30 बजे सामने से आए ई-रिक्शा से उसकी टक्कर हो गई. छात्रा के गले में टंगा आईकार्ड उसी की एक्टिवा के हैंडल में फंस गया और दम घुटने से उसकी मौत हो गई. एरोड्रम पुलिस के अनुसार हादसा शीतला माता मंदिर के सामने हुआ है. शैजल कॉलेज के फर्स्ट ईयर की छात्रा थी और डॉक्टर बनने के लिए नीट की तैयारी कर रही थी. वह प्राइवेट नौकरी भी करती थी. उसके परिवार में माता-पिता के अलावा दो बहन और एक भाई है. पिता उज्जैन में ईओडब्ल्यू ऑफिस में कांस्टेबल हैं
प्रत्यक्षदर्शी ने बताई घटना की हकीकत
घटनास्थल में मौजूद प्रत्यक्षदर्शी गिरीश देवड़ा ने बताया कि मैं अपनी बेटी को कॉलेज छोड़ने जा रहा था. शैजल हमारे ठीक पीछे एक्टिवा से चल रही थी. उसने गले में आई कार्ड पहन रखा था. सामने से आ रहे ई-रिक्शा से एक्टिवा को टक्कर लगी. टक्कर के बाद रिक्शा आगे निकल गया. इसी दौरान शैजल का आईकार्ड एक्टिवा के हैंडल में फंस गया. वह थोड़ी दूर तक गई और फंदा कसने से लड़खड़ाई। इसके बाद उसका सिर एक्टिवा के मास्क पर टकराया। खून निकलने लगा और वह गिर पड़ी. मैंने गाड़ी रोकी तो आई कार्ड फंसा हुआ था. मैं दौड़ा और उसे उठाने लगा.
तभी वहां से जा रहे बाइक सवार हेमेंद्र लोधी निवासी सांवरिया नगर आ गए. हम दोनों ने उसे उठाया, जबकि कई राहगीर वीडियो बना रहे थे. मुझसे वह नहीं उठ रही थी तो तीसरा राहगीर मोहन कौशल भी आ गया. हम तीनों ने एक रिक्शा में शैजल को बैठाया और उसे जिला अस्पताल लाए. रास्तेभर उसे हिलाया और उसकी नब्ज देखी। लेकिन अस्पताल पहुंचते ही उसकी सांसे थम गई.
चिकित्सकों ने कहा कि यह दुर्लभ केस है
फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉक्टर भरत वाजपेयी ने बताया कि प्रारंभिक मामला एक्सीडेंटल था. जब पीएम हुआ तो देखा कि उसकी मौत चोट से नही हुई थी. शरीर पर चोट के निशान सामान्य थे. उसकी मौत दम घुटने से हुई है. यह मेरे जीवन का दुर्लभ केस है. मैंने ऐसा पहले कभी नहीं देखा। इसे एक्सीडेंटल इस्ट्रेंगुलेशन कहते हैं.