सैयद मसूद गाजी की कहानी जिसे लेकर संभल में बवाल मचा है

Story of Syed Masood Ghazi Sambhal/ संभल के सैयद मसूद गाजी का इतिहास: भारत में एक बड़ा तबका है, जो यह मनाता है कि खिलजी, मुग़ल, अब्दाली, अफगानी इनके वंशज थे, ये इनकी कब्र में जाकर सजदा करते हैं, उनकी इज्जत करते हैं और उनके बारे में कोई कुछ कह दे तो सड़कों में उतरकर उपद्रव करते हैं. जबकि इन्हे भी यह बात मालूम है कि इन विदेशी इस्लामिक आक्रांताओं का इनसे कोई लेना देना नहीं है, न तो यह इनके हिमायती थे और न ही पूर्वज। आज जो औरंगजेब और बाबर के नाम पर यह बवाल काटे हुए हैं कभी इन्ही आक्रांताओं ने जबरन इनका धर्म बदल दिया था, इनके परिवारों को काट डाला था.

औरंगजेब को लेकर देश में बवाल तो मचा है इस बीच यूपी के संभल (Sambhal) में सैयद सालार मसूद गाजी (Syed Salar Masood Ghazi) के नाम पर उपद्रव करने की योजना बनाई जा रही है. Sambhal में इसी Syed Salar Masood Ghazi की याद में हर साल नेजा मेला (Neja Mela) लगता है. ये मेला खासतौर पर मुस्लिम समुदाय का होता है. मगर इस साल Neja Mela Sambhal नहीं लगेगा क्योंकि प्रशासन इसके लिए राज़ी नहीं है.

संभल ASP श्रीश्चं ने स्थानीय मेला कमिटी को पहले ही आगाह कर दिया था कि अब संभल में नेजा मेला जैसा कोई आयोजन नहीं होगा। उनका कहना है कि जिसने सेमनाथ को लूटा, उसकी याद में मेला नहीं लगने देंगे। उन्होंने चेतावनी जारी करते हुए कहा- अगर किसी ने भी नेजा मेला की ढाल गाड़ने के लिए रैली निकाली तो वह राष्ट्रद्रोही कहलाएगा।

सैयद सालार मसूद गाजी कौन था?

Who Was Syed Masood Ghazi in Hindi: 11वीं सदी में भारत में आक्रमण करने वाले इस्लामिक आक्रांता महमूद गजनवी (Mahmud Ghaznavi) का नाम आपने सुना होगा। इसी ने 1001 ईस्वी में पहली बार भारत पर हमला किया और 17 बार आक्रमण कर भारत के मंदिरों को न सिर्फ लूटा बल्कि उन्हें जमीदोज कर दिया। इसी महमूद गजनवी ने गुजरात के सोमनाथ मंदिर को भी लूटकर इसे तोड़ डाला था. संभल में जिसकी याद में मुसलमान नेजा मेला लगाते हैं वो सैयद सालार मसूद गाजी (Syed Salar Masood Ghazi) Mahmud Ghaznavi का भांजा था. भारत पर शुरुआती आक्रमणों में सैयद सालार मसूद गाजी ने मोहम्मद गजनवी के सैन्य अभियान का नेतृत्व किया।

सैयद सालार मसूद गाजी का इतिहास

History of Syed Salar Masood Ghazi: इतिहासकार मोहम्मद नाजिम की किताब द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ सुल्तान महमूद ऑफ गाजना’ (The Life and Times of Sultan Mahmud of Ghazna) में सैयद सालार मसूद गाजी के बारे में बताया गया है. इस किताब के मुताबिक-

महमूद गजनवी अफ़ग़ानिस्तान के गजनी साम्राज्य का सुल्तान था, उसके ही नेतृत्व में सन 1026 में उसके भांजे सैयद सालार मसूद गाजी ने सबसे बड़ा हमला काठियावाड़ के सोमनाथ मंदिर (History Of Somnath Temple) पर किया था। इस हमले में मंदिर का खजाना लूट लिया गया। रास्ते में जो रियासतें आईं, उन्हें नष्ट कर दिया गया। कत्लेआम किया और हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराया गया।

मौलाना मोहम्मद अली मसऊदी की किताब अनवार-ए-मसऊदी (Anwar-e-Masoodi) में लिखा है कि 1026 में सोमनाथ को लूटने के बाद सैयद सालार मसूद गाजी आगे बढ़ा, यह 1030 में यूपी के बहराइच पहुंचा जहां उसका सामना बहराइच के राजा सुहेलदेव (Suheldev, the king of Bahraich) से हुआ. इस्लामिक आक्रमणकारी का सामना करने के लिए श्रावस्ती राज्य के राजा सुहेलदेव ने 21 राजाओं की सेना तैयार की. दोनों सेनाओं के बीच बहराइच में युद्ध हुआ, महाराजा सुहेलदेव ने सैयद सालार को मात देदी, वो मारा गया. तब राजा ने उसे और उसके मारे गए सैनिकों बहराइच में ही दफना दिया।

बहराइच में  सैयद सालार मसूद गाजी की कब्र पर दरगाह है। यहां हर साल सालाना उर्स का आयोजन किया जाता है।

बहराइच के स्थानीय इतिहासकार और बलरामपुर में एमएलके पीजी कॉलेज में इतिहास विभाग के प्रोफेसर तबस्सुम फरखी बताते हैं कि 12वीं सदी में दिल्ली सल्तनत के वक़्त सैयद सालार मसूद गाजी की कब्र को दरगाह में तब्दील कर दिया गया था तब 1246 से 1266 ईस्वी तक नसीरुद्दीन महमूद दिल्ली सल्तनत का सुल्तान था। उसने सैयद सालार की कब्र पर मजार बनवा दी। इतिहासकार इसे एक योद्धा बताते हैं जो पशु पक्षियों से प्यार करता था.

इतिहासकार कहते हैं कि वो सभी धर्मों के बीच लोकप्रिय था, 11वीं सदी में वह शिकार करते हुए भटक कर हिन्दुओं के धार्मिक स्थल सूरजकुंड पहुंच गया मगर उसने उसे ध्वस्त न करके वहीं रहने लग गया. जबकि ये भी कहा जा सकता है कि उसने हिन्दुओं के धार्मिकस्थल पर कब्जा कर लिया।

इनके जैसे इतिहासकारो ने एक आक्रांता की छवि ऐसी बनाई कि उसे दयालु और पशुप्रेमी बता दिया। धीरे – धीरे गैर मुस्लिम यानी हिन्दू भी उसकी दरगाह में जाने लगे. कुछ समय बाद यहां उर्स के मौके पर मेला लगने लगा. बाराबंकी की चर्चित दरगाह देवा शरीफ से गाजी मियां की बारात आने की परंपरा शुरू हो गई.

बहराइच में इसी दिन हिन्दू महाराजा सुहेलदेव का विजयोत्स्व मनाते हैं जबकि संभल में सैयर सालार की याद में नेजा मेला लगता है, जो होली के अगले मंगलवार को होता है.

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