नेपोलियन द्वारा आल्प्स पर्वत को पार करने की प्रेरक कहानी

Hindi Story Of Napoleon Crossing The Alps: नेपोलियन बोनापार्ट जीवन भर जोखिमों से खेलने वाले, अदम्य साहस, और अद्भुत आत्मविश्वास के प्रतीक रहे। उनके जीवन की अनेक घटनाएँ प्रेरणा देती हैं, लेकिन आल्प्स पर्वत पार करने की घटना, उनके दृढ़विश्वास को बताती हैं। इसी घटना पर यूरोप में एक प्रेरक कथा मिलती है, जिसमें ऐतिहासिकता कितनी है, यह तो नहीं कहा जा सकता है। लेकिन नेपोलियन की यह कहानी केवल एक योद्धा की गाथा नहीं है। बल्कि उसके दृढ़निश्चय, साहस, धैर्य और नेतृत्व की क्षमता को भी बताती है।

वृद्ध स्त्री और नेपोलियन का प्रेरक प्रसंग

कथानुसार नेपोलियन अपनी सेना के साथ आल्प्स पर्वत के मार्ग में आगे बढ़ रहे थे। इसी बीच रास्ते में उन्हें एक वृद्ध स्त्री मिली। नेपोलियन ने उस स्त्री से आल्प्स पर्वत तक पहुँचने का मार्ग पूछा। स्त्री ने पूछा- तुम आल्प्स पर्वत क्यों जाना चाहते थे। नेपोलियन ने कहा- वह उसे पार करना चाहते हैं। यह सुनकर उस बुढ़िया ने उसे चेताते हुए कहा- “वापस लौट जा मूर्ख, क्यों खुद मरना चाहते हो और अपनी सेना को भी मरवाना चाहते हो? वहाँ जो गया, वो लौटकर कभी वापस नहीं आया। अगर जान प्यारी है तो वापस लौट जाओ।”

नेपोलियन ने उस बुजुर्ग महिला की बात ध्यान से सुनी, लेकिन हतोत्साहित होने के बजाय वह प्रेरित हो उठा। उन्होंने तुरंत अपने गले का हीरों का हार उतारकर उस बुज़ुर्ग महिला को भेंट कर दिया और मुस्कराकर बोले- “आपकी बातों ने मुझे और मेरे इरादों को और भी मजबूत बना दिया। अब मैं न केवल इस पर्वत को पार करूंगा, बल्कि जीतकर भी लौटूंगा।”

नेपोलियन की बात सुनकर वह वृद्ध स्त्री मुस्कराते हुए बोली-“तुम पहले इंसान हो जो मेरी बात से डरे नहीं और जो डरते नहीं हैं, ऐसे लोग ही इतिहास बनाते हैं।”

नेपोलियन आल्प्स पर्वत क्यों पार करना चाहता था

सन 1800 की बात है, नेपोलियन बोनापार्ट ने उत्तरी इटली में ऑस्ट्रिया से फ्रांसीसी क्षेत्रों को वापस लेने के लिए एक बड़ा सैन्य अभियान शुरू किया। इसके लिए उसे अपनी पूरी सेना के साथ आल्प्स पर्वत पार करना अत्यंत आवश्यक था। सामने बर्फ से ढका हुआ एक गगनचुंबी पर्वत था, जो देखने में ही मृत्यु की घाटी जैसा प्रतीत होता था। उसकी सेना में डर फैल गया। सभी को लगा कि यह आत्महत्या जैसा है। लेकिन दूसरे सेनानायकों के मना करने के बावजूद भी नेपोलियन ने आल्प्स पर्वत को पार करने का फैसला किया। और उन्होंने आल्प्स पर्वत को पार कर विजय पताका फहराई।

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