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सात साल पहले कुम्भ मेले में बिछड़ा, यूपी- बिहार में बंधक रहा! मऊगंज के लवकुश की कहानी रुला देगी

प्रयागराज कुंभ का मेला अपनी भव्यता और सुंदरता के लिए विख्यात है. हर साल लगने वाले इस मेले में लाखों की तादात में लोग अपने परिवार के साथ यहां खुशियां मनाने और गंगा स्नान के लिए आते हैं. हम सब ने कुंभ मेले से जुड़ीं हजारों मन को मोह लेने वाली कहानियां सुनी और समझी हैं. लेकिन हम आपको ऐसी एक कहानी के बारे में बताने वाले हैं जिसे सुनकर आपका दिल पसीज उठेगा।

कई ऐसी बॉलीवुड की फ़िल्में देखी होंगी जिन फिल्मों में बच्चे मेले में अपने अपने माता-पिता से बिछड़ जातें हैं और जब कई वर्षों के बाद मिलते हैं तो ये दृश्य मन को झकझोर देता है. ये तो हुई फिल्मों की बात, अगर रियल लाइफ में भी ऐसा हो तो कहानी और भी मार्मिक हो जाती है. ऐसी ही एक रियल कहानी हम लेकर आए हैं.

ये कहानी है मध्य प्रदेश के मऊगंज के ग्राम बाराती से ताल्लुक रखने वाले लवकुश साकेत की. 7 वर्ष पूर्व 8 साल की उम्र में लवकुश साकेत अपने नेत्रहीन माता-पिता से कुंभ मेले में बिछड़ गया. इसके बाद कई सालों तक उत्तरप्रदेश के एक घर में कैद रहा. आठ वर्षीय बालक को उस घर में बहुत प्रताड़ित किया गया. प्रताड़ना समय के साथ बढ़ती गई. एक दिन उसे खुद को आजाद करने का मौका मिला और वह अत्याचारी शख्स के चंगुल से भाग निकला और यूपी से भागकर बिहार पहुंच गया.

लाचारी और विवशता ने बच्चे का पीछा यहां भी नहीं छोड़ा। सहरसा में भी बच्चे को एक घर में बंधुआ मजदुर बना दिया गया। लवकुश को ग्राम तसिमपुर थाना सलखुआ जिला सहरसा के रहने वाले एक शख्स ने अपने घर में नौकर बना दिया. ऐसा नौकर जो दिन-रात सिर्फ काम करता और मेहनत के बदले उसे मार पड़ती।

यहां लवकुश का शोषण पहले से भी ज्यादा होने लग गया. सारा-सारा दिन काम करवाने के वावजूद खाना नहीं, बदन ढकने के लिए कपड़े नहीं, पैरों में चप्पल नहीं इतनी दुर्दशा की बच्चे का जीना मुश्किल हो गया. इधर अपने बच्चे को मरा माने हुए नेत्रहीन माता-पिता भीख मांग कर गुजारा कर रहे थे. अपने बेटे के लापता होने से कई साल परेशान रहे. पर कही से मदद नहीं मिली। अंत में बच्चे को मरा हुआ मानकर नई ज़िन्दगी शुरू कर दी. लेकिन किसे पता था लवकुश एक दिन वापस लौटेगा!

कुंभ में बिछड़ा लवकुश 7 साल बाद कैसे लौटा?

देर से ही लेकिन भगवान ने लवकुश के जीवन की सुध ली। अलोक भगत नाम के व्यक्ति को अपना दूत बना कर लवकुश और नेत्रहीन माता-पिता के लिए भेजा। अलोक भगत ने जैसे ही लाचार लवकुश को देखा तो उसे पता चल गया कि लवकुश यहां का नहीं है अपनों से बिछड़ के यहाँ आया है. अलोक भगत ने लवकुश से उसके घर का पता पूछा। लवकुश जितना अपने गांव, समाज और माता-पिता के बारे में जनता था, सब अलोक भगत को बता दिया। भगत ने मदद करते हुए नेट में सर्च कर लवकुश के गांव, तहसील, जिले के बारे में जानकारी जुटाई। मऊगंज कलेक्टर अजय श्रीवास्तव से फोन पर बात कर लवकुश के बारे में पूरी जानकारी दी.

मऊगंज के कलेक्टर ने घटना की पूरी जानकरी नोट की. अलोक भगत के बताये पते पर पुलिस भेजकर पता करवाया तो बच्चे के गुम होने की पुष्टि हुई. वर्त्तमान में लवकुश के माता-पिता अपने गृहग्राम में रहते हैं. जिनका भरण पोषण छोटे भाई छकौडी साकेत कर रहे हैं। जानकारी के बाद मऊगंज कलेक्टर के निर्देश पर प्रशासन ने छकौडी को बिहार भेजा। वहां भगत की सहायता से गुमशुदा लवकुश को उसके चाचा छकौडी को सुपुर्द कराया है।

किसने सोचा था 7 साल पहले माता-पिता से कुंभ मेले में बिछड़ा लवकुश यूपी-बिहार में ह्यूमन ट्रैफिकिंग का शिकार होने के बाद अपने परिवार के पास लौट आएगा? जिस लवकुश को परिवार के लोग नहीं खोज पाए उसे अनजान शख्स ने परिवार तक पहुंचा दिया। अब लवकुश अपने घर वापस आ गया है. उसे ज्यादा कुछ तो याद नहीं लेकिन वह फिर से अपने माता-पिता का प्यार पाकर खुश है.

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