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Raja Bhoj| राजा भोज की कहानियाँ

Raja Bhoj Stories In Hindi: मालवा के राजा भोज से संबंधित कहानियाँ हमें कई ग्रंथों से प्राप्त होती हैं, इसके अतिरिक्त कई लोककथाएँ भी प्राप्त होती हैं। हालांकि इनमें से ज्यादातर का कोई ऐतिहासिक आधार नहीं है, लेकिन फिर भी इनसे बहुत कुछ सीखा भी जा सकता है, नैतिक और व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

राजा भोज से संबंधित ऐसी ही कुछ कथाएँ आचार्य मेरुतुंग रचित प्रबंध-चिन्तामणि नामक ग्रंथ में प्राप्त होती है, ये कथाएं मुख्यतः भोज की पाण्डित्य और दानशीलता को लेकर हैं। ऐसी ही एक कथा के अनुसार –
एक बार मालवाधिपति राजा भोज के राजसभा में एक दरिद्र युवक आया। भोज की कीर्ति को सुनकर वह उनके पास कुछ धन की अभिलाषा से आया था, उसने राजा से कहा –
“अम्बा तुष्यति न मया न स्नुषया सापि नाम्बया ना मया।
अहमपि ना तया ना तया वद राजन् कस्य दोषोSयम्।।”

अर्थात् – हे राजन! मेरी माँ ना मुझसे प्रसन्न रहती है ना मेरी स्त्री से, मेरी स्त्री ना मेरी माँ से प्रसन्न रहती ना मुझसे और मैं भी ना अपनी माँ से प्रसन्न रहता हूँ ना स्त्री से। अब कहो इसमें किसका दोष है।
भोज विद्वता में पंडितों का भी पंडित था, वह समझ गया इसका मूल कारण गरीबी है, जिसके कारण घर में कलह होती रहती है, और सभी एक दूसरे से अप्रसन्न रहते हैं। इसीलिए उसने उस ब्राह्मण को इतना धन दे दिया कि, आगे भविष्य में उसके घर में कलह होने होने की कोई संभावना ना हो।

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