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महाराष्ट्र के जलगांव में पैसेंजर ट्रेन पर पथराव , यात्रियों में दहशत

महाराष्ट्र के जलगांव में एक पैसेंजर ट्रेन पर पत्थरबाजी हुई है। यह घटना जलगांव जिले के अमलनेर इलाके में हुई। यहां अज्ञात लोगों ने ट्रेन की चेन खींचकर उसपर पत्थरबाजी शुरू कर दी, जिससे यात्री परेशान हो गए।

बार बार हुई चेन पुलिंग

घटना का एक वीडिओ सामने आया है, जिसमें कुछ लोग पैसेंजर ट्रैन पर पथराव करते हुए दिखाई दे रहे है. घटना 12 जुलाई की बताई जा रही है. जानकारी के मुताबिक़ , भुसावल से नंदुरबार जाने वाली पैसेंजर ट्रेन सुबह 10 :50 बजे अमलनेर रेलवे स्टेशन से रवाना हुई। इसके करीब 10 मिनट बाद कुछ लोग ट्रेन की चेन खीचकर मलनेर तालुका के धार में पहाड़ी के पास उतर गए और चलती ट्रेन पर पत्थरबाजी शुरू कर दी. रेलवे गार्ड ने रेलवे में तैनात RPF कर्मियों को बार बार चेन खींचने की घटना की जानकारी दी, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई

ट्रेन पर पत्थर फेंकने के बढ़ते मामले

कई बार बच्चों में यह शर्त लगती है और वें खेल खेल में ट्रेन पर पथराव करते है. ट्रेनों में पत्थर मारने की घटनाओं में सबसे अहम रोल रेलवे ट्रैक किनारे बसी आबादी का सामने आ रहा है। जहां रहने वाले बच्चे या नौजवान इन घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। समय-समय पर आरपीएफ और स्थानीय स्टेट पुलिस भी इनकी काउंसलिंग कराती है। लेकिन फिर भी रेलवे ट्रैक किनारे बसी आबादी और खेतों में काम करने वाले कभी-कभी इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे देते हैं।

आरपीएफ अधिकारियों का कहना है कि बहुत कम मामलों में किसी साजिश के तहत पत्थरबाजी की घटनाएं सामने आती हैं। कुछ मामलों में ट्रेनों को चलाने वाले लोको पायलट और गार्ड को भी पत्थर मारे गए। इससे यात्रियों को चोट लगने वाली घटनाएं तो बेहद कम सामने आती हैं। लेकिन शीशा चटक जाने या अन्य तरह से रेलवे को आर्थिक नुकसान होता है। इससे निपटने के लिए आरपीएफ और जीआरपी काम कर रहे हैं।

पथराव पर क्या है कानून ?

दरअसल, ट्रेनों में पत्थरबाजी या उसे अन्य तरीकों से नुकसान पहुंचाने की कोशिश करना रेल एक्ट की धारा 153 के अंतर्गत एक दंडनीय अपराध होता है। इस एक्ट के तहत आरोपी को 5 साल तक की सजा भी हो सकती है।

पहले भी वंदे भारत जैसी ट्रेनों पर हो चुका है पथराव

आपको बता दे कि पहले भी वन्दे भारत जैसी ट्रेनों पर पथराव हो चुका है। और यह घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है.लाख कोशिश करने के बावजूद चलती ट्रेनों में पत्थरबाजी की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। इस साल जनवरी से अक्टूबर तक ट्रेनों में पत्थर फेंकने की करीब 300 घटनाएं सामने आई हैं। यह पिछले साल से अधिक हैं। रेलवे सूत्रों का कहना है कि जिन ट्रेनों में सबसे अधिक पत्थर मारे गए, उनमें वंदे भारत और शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन शामिल हैं। इसके दो कारण अहम बताए गए हैं।

पहली इनकी चमक-धमक और दूसरी स्पीड। आरपीएफ ने बीते महीने अक्टूबर में ही 33 ऐसे लोगों को पकड़ा, जिन्होंने रेलगाड़ियों पर पथराव किया था। इनमें अधिकतर की उम्र 18 से 25 साल के बीच थी। ट्रेनों में होने वाली पत्थरबाजी की घटनाओं और इस आरोप में पकड़े जाने वाले आरोपियों के बारे में आरपीएफ ने जो स्टडी की। इसमें पता लगा है कि ट्रेनों में पथराव करने वाले अधिकतर 12-13 साल से 25 साल की उम्र वाले हैं। इनमें भी नाबालिग बच्चे शीशों वाली ट्रेन की चमक को देखकर इनके शीशों पर पत्थर मारते हैं।

नाबालिग होने की वजह से इन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। लेकिन काउंसलिंग सेशन में इनका कहना था कि वंदे भारत और शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेनों की हाई स्पीड और शीशों वाली विंडो को देखकर उन्हें इन ट्रेनों में पत्थर मारने का दिल करता है। यह बेहद गंभीर बात है क्योकि आरोपियों को पकड़ना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। इसलिए आरोपी के हौंसले बुलंद हैं।

अधिक जागरूकता की जरूरत

यह बेहद महत्वपूर्ण है कि ज्यादा से ज्यादा लोंगो को जागरूक करने की जरूरत है. पत्थरबाजी की घटनाओं में नाबालिकों का नाम सबसे ज्यादा आता है इसलिए यह आवश्यक है कि बच्चो के पता पिता को भी उन्हें जागरूक करना चाहिए। ताकि ऐसी घटनाओं पर रोक लग सकें।

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