Stete-Level Chiltural Competition :’सुगम गायन’ में सृजन को तीसरी बार प्रथम स्थान-लोक शिक्षण संचालनालय मध्यप्रदेश द्वारा 13 अक्टूबर 2025 को नर्मदापुरम में राज्य स्तरीय बालरंग,सांस्कृतिक प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसके अंतर्गत “सुगम गायन” विधा में सीधी के सृजन मिश्र ने प्रथम स्थान प्राप्त कर जिला और संभाग का नाम रोशन किया है। सृजन न केवल संगीत बल्कि अभिनय के क्षेत्र में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं,इन्द्रवती नाट्य समिति ‘सीधी रंगमंच’ में रहकर रोशनी प्रसाद मिश्र एवं नीरज कुंदेर द्वारा निर्देशित नाटकों में संगीत संयोजन के साथ-साथ अभिनय में भी अपनी शानदार उपस्थिति से रंगमंच में अहम भूमिका निभा रहे हैं। तथा श्लोक भी नाट्य समिति के नाटकों में संगत करते रहे हैं।उनकी इस उपलब्धि पर संयुक्त संचालक रीवा द्वारा सम्मानित किया गया।
संगतकारों की भी रही विशेष भूमिका
सृजन के साथ तबले पर संगत श्लोक तिवारी ने किया।सृजन इसके पहले 2019 एवं 2022 में भी राज्य स्तरीय बालरंग प्रतियोगिता में जीत दर्ज कर चुके हैं। सृजन वर्तमान में उत्कृष्ट विद्यालय क्र.1 के 12 कक्षा के नियमित विद्यार्थी हैं,इनकी संगीत की शुरुआत गुरु योगेश्वर तिवारी के साथ हुई। सृजन न केवल संगीत बल्कि अभिनय के क्षेत्र में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं,इन्द्रवती नाट्य समिति ‘सीधी रंगमंच’ में रहकर रोशनी प्रसाद मिश्र एवं नीरज कुंदेर द्वारा निर्देशित नाटकों में संगीत संयोजन के साथ-साथ अभिनय में भी अपनी शानदार उपस्थिति से रंगमंच में अहम भूमिका निभा रहे हैं। तथा श्लोक भी नाट्य समिति के नाटकों में संगत करते रहे हैं। उनकी इस उपलब्धि पर संयुक्त संचालक रीवा द्वारा सम्मानित किया गया। सृजन ने बताया कि इस उपलब्धि का श्रेय मेरे पूज्यनीय माता पिता एवं गुरुजनों को जाता है जिन्होंने हमेशा निस्वार्थ भाव से आशिर्वाद व मार्गदर्शन दिया है।
माता-पिता व गुरुजनों को दिया श्रेय
सृजन के इस उपलब्धि पर संयुक्त संचालक शिक्षा रीवा, उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य शंभूनाथ त्रिपाठी, विद्यालय के सांस्कृतिक प्रभारी रोहिणी पाठक व लक्ष्मी सितानी, योगेश्वर तिवारी, अवतार कृष्णा,इन्द्रवती नाट्य समिति के निदेशक नीरज कुंदेर एवं रोशनी प्रसाद मिश्र, रजनीश जायसवाल, प्रजीत साकेत सहित सभी अन्य कलाकारों,शिक्षकों, अधिकारियों एवं जिलेवासियों ने बधाई दी।बालरंग सुगम गायन में तीसरी बार प्रथम स्थान प्राप्त करने का श्रेय माता पिता और गुरु जन का है-सृजन