Ujjain Mahakal Lok: सूत्रों के अनुसार शुक्रवार दोपहर तेज हवाओं के चलते रथ का छत्र और प्रतिमा का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। मंदिर के कंट्रोल रूम को सूचना मिलने के बाद तुरंत कार्रवाई की गई। मौके पर मौजूद इंजीनियर अभय सिंह ने कहा कि प्रतिमाओं का मेंटेनेंस कार्य प्रगति पर है। कार्य पूर्ण होने पर पर्दा हटा दिया जाएगा। हालांकि घटना के चार दिन बाद भी प्रतिमा की मरम्मत नहीं हुई है।
Ujjain Mahakal Lok News: उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर परिसर में स्थित महाकाल लोक के धनुष द्वार के सामने लगी भगवान शिव की त्रिपुरासुर संहार की प्रतिमा 6 जून को तेज हवाओं के कारण क्षतिग्रस्त हो गई। इस घटना के बाद मंदिर प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए प्रतिमा को पर्दे से ढंक दिया और आसपास बैरिकेड्स लगाकर श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया।
महाकाल लोक के धनुष द्वार प्रवेश मार्ग के पास फूड जोन के समीप स्थापित इस प्रतिमा में भगवान शिव को रथ पर सवार होकर धनुष-बाण से त्रिपुरासुर का वध करते दर्शाया गया है। सूत्रों के अनुसार शुक्रवार दोपहर तेज हवाओं के चलते रथ का छत्र और प्रतिमा का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। मंदिर के कंट्रोल रूम को सूचना मिलने के बाद तुरंत कार्रवाई की गई।
प्रशासन ने क्या कहा
स्मार्ट सिटी के सीईओ संदीप शिवा ने बताया कि महाकाल लोक में लगी सभी प्रतिमाओं का रखरखाव और रिनोवेशन कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कहा कि कार्य की प्रगति की समीक्षा की जाएगी। वहीं मंदिर समिति के उप प्रशासक एसएन सोनी, जो वर्तमान में हिमांचल में ड्यूटी पर हैं, ने कहा हमें स्मार्ट सिटी से जानकारी मिली है कि प्रतिमा का मेंटेनेंस चल रहा है। कार्य में देरी के कारणों की जानकारी लेकर ही कुछ बता सकूंगा। वहीं मौके पर मौजूद इंजीनियर अभय सिंह ने कहा कि प्रतिमाओं का मेंटेनेंस कार्य प्रगति पर है। कार्य पूर्ण होने पर पर्दा हटा दिया जाएगा। हालांकि घटना के चार दिन बाद भी प्रतिमा की मरम्मत नहीं हुई है।
दो साल पहले भी क्षतिग्रस्त हुई थीं सप्तऋषि प्रतिमाएं
महाकाल लोक में दो साल पहले 29 मई की 2023 को आंधी-तूफान के कारण सप्तऋषि की सात में से छः प्रतिमाएं क्षतिग्रस्त हो गईं थी। फाइबर रीइन्फोर्स्ड प्लास्टिक से बनीं ये प्रतिमाएं खोंखली थीं, जिसके कारण ये आंधी में गिर गई थीं। इस घटना के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नई प्रतिमाएं लगाने के निर्देष दिए थे। जिसके बाद अगस्त 2023 में नई प्रतिमाएं स्थापित की गईं।
वर्तमान मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने पत्थर की मूर्तियां लगाने के आदेश दिए। जुलाई 2024 में सप्तऋिषि की पत्थर की सात नई मूर्तियां तैयार करने का कार्य शुरू हो चुका है। ये मूर्तियां बंशी पहाड़पुर के लाल पत्थरों से बन रही हैं, जिनकी लागत 2.50 करोड़ रुपये है। प्रत्येक मूर्ति की कीमत 35 लाख रुपये, ऊंचाई 15 फीट, चौड़ीई 10 फीट और मोटाई 4.5 फीट होगी। ओड़िसा के कलाकार इन मूर्तियों को तैयार कर रहे हैं। पहले चरण में सप्तऋषि की मूर्तियां बनाई जा रही हैं, इसके बाद अन्य प्रतिमाओं को भी बदला जाएगा।