एक चार साल का बच्चा जब अपने पापा की ऊँगली पकड़े स्टेज पर आया था तो किसने सोचा था कि एक दिन वो देश का एक जाना माना और सबका चहीता सिंगर बन जायेगा और शादी ,पार्टियों में गाने वाला बच्चा, ऐसे गाने हमें देने लगेगा जो हर उम्र के लोगों को भाएंगे हालाँकि ये काम उसके लिए इतना मुश्किल नहीं था क्योंकि वो ऐसे सिंगर को कॉपी करते हुए बड़ा हुआ था , जिनकी आवाज़ और गायकी इतनी बेमिसाल थी कि आज तक कोई उन जैसा औरा नहीं क्रिएट कर पाया जी हाँ ये थे हर दिल अज़ीज़ मो . रफ़ी और उनका ये गाना था, ”क्या हुआ तेरा वादा ,वो क़सम वो इरादा ” बेशक आप हमारा इशारा समझ गए होंगे ये हैं ,बॉलीवुड में धूम मचाने वाले सिंगर सोनू निगम जो महज़ चार साल की उम्र से अपने पिता अगम कुमार निगम के साथ गाने ,गाने लगे थे। उन्हें नए ज़माने के रफ़ी के नाम से या रफ़ी साहब की परछाई के नाम से भी लोग जानते हैं।
लग गई ऑफर्स की झड़ी
३० जुलाई १९७३ को हरियाणा के फरीदाबाद शहर में अगम कुमार निगम और शोभा निगम के घर पैदा हुए सोनू निगम १९ साल की उम्र में बॉलीवुड में क़िस्मत आज़माने के लिए मुंबई आ गए थे , और हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफा खान से संगीत सीखा था , उनके पिता आगरा से और माँ गढ़वाल से ताल्लुक रखती हैं, एक बहन तीशा भी सिंगर हैं। उनका पहला गाना था १९९० में आई फिल्म ‘जानम’ के लिए जो बदक़िस्मती से रिलीज़ नहीं हो पाई फिर हमने पहली बार उनकी आवाज़ सुनी दूरदर्शन पर १९९२ में प्रसारित होने वाले धारावाहिक तलाश के गीत “हम तो छैला बन गए में ” हालाँकि इसी साल वो अपना पहला एल्बम टी-सीरीज़ के बैनर तले ‘ रफ़ी की यादें ‘ बना चुके थे और फिर पहली फिल्म मिली १९९३ में रिलीज़ हुई ‘आजा मेरी जान ‘ जिसका गाना था “ओ आसमान वाले ” बस इसके बाद तो श्रोता उन्हें सुनने को बेक़रार हो उठे और सोनू निगम के पास फिल्मों की झड़ी लग गई , उनके गानों से सजी उस वक़्त की कुछ खास फ़िल्में थीं,मेहरबान ,शबनम , आग , चीता , खुद्दार ,स्टंटमैन ,राम जाने ,खिलाड़ियों का खिलाड़ी , पापा कहते हैं ,और प्यार हो गया, बॉर्डर , सरफ़रोश , संघर्ष और दिल , जिनके गानों ने सबको उनका दीवाना बना दिया था।
दिया बहुमुखी प्रतिभा का परिचय
साल 1994 मे इन्होने रेडियो पर विज्ञापन बनाना शुरु किया और उनको बड़ी सफलता तब मिली जब उनका गाया हुआ गाना “अच्छा सिला दिया तुने मेरे प्यार का” १ जनवरी १९९३ मे रिलीज़ हुआ । उनकी अगली सफलता १९९७ में ‘बॉर्डर’ फ़िल्म के गीत ‘संदेसे आते हैं’ के रूप में आई। १९९९ में उनका पहला सोलो एल्बम ‘दीवाना’ आया जिसने धूम मचाते हुए रोमांटिक सांग्स में अपनी खास जगह बनाई। मोहम्मद रफ़ी की परछाईं कहे जाने वाले सोनू निगम ने अपने एक नए स्टाइल से लोगों को रूबरू कराया ,नदीम-श्रवण के संगीत-निर्देशन में आई ‘परदेस’ फ़िल्म के गीत ‘ ये दिल दीवाना’ में, यही वो गीत था जिससे उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है और आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल बन गए और आज वो एक वर्सेटाइल सिंगर माने जाते हैं। सोनू निगम केवल प्ले बैक सिंगर ही नहीं हैं बल्कि म्यूज़िक डायरेक्टर ,डबिंग आर्टिस्ट होने के साथ -साथ एक्टिंग भी करते हैं यूँ तो उनके गानों की फेहरिस्त बहोत लम्बी है फिर भी उनके गाए कुछ बेमिसाल गानें हम आपको याद दिलाए देते हैं,-पंछी नदिया पवन. .. , मै हूँ न…., संदेसे आते हैं. . , ये दिल दीवाना…,अभी मुझमें कहीं .. , कभी अलविदा न कहना। . ,हंस मत पगली .. . और धीरे जलना।
कब आई सम्मानों की बारी
सोनू निगम को सन २००५ में सर्व श्रेष्ठ पुरुष गायक के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया और २०२२ में चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से नवाज़ा गया ,दो फिल्म फेयर पुरस्कार बॉलीवुड के लिए तो दो साउथ के लिए भी आपने जीते , और चार बार, आइफा यानी ,अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फिल्म अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा जा चुका है ,सूरज हुआ मद्धम … , कभी ख़ुशी कभी ग़म फिल्म के इस गीत को गाने के लिए सोनू निगम ने आइफा अवॉर्ड जीता था , फिर साथिया, फिल्म के शीर्षक गीत के लिए सोनू निगम ने आइफा के साथ अपना पहला फिल्म फेयर अवॉर्ड भी जीत लिया , तो वहीँ कल हों न हो गीत के लिए दूसरे फिल्म फेयर अवॉर्ड के साथ -साथ ,नेशनल अवार्ड और आइफा अवार्ड भी जीत लिया इसके अलावा भी कई अवॉर्ड उनके नाम हैं।
उनके स्टाइल की बात करें तो उनकी आवाज़ में आपको रोमेंटिक गानों से लेकर ब्रेकअप सांग्स , शास्त्रीय ख्याल ,भजनों से लेकर क़व्वाली ,ग़ज़लें यहां तक की रॉक पॉप सबकुछ सुनने को मिलता है वो भी हिंदी इंग्लिश के अलावा ३२ भारतीय भाषाओँ में आप उनके गाने सुन सकते हैं और हाँ आप उन्हें देख भी सकते हैं क्योंकि वो हमें अपनी एक्टिंग का भी जलवा दिखा चुके हैं और दीवाना एल्बम में तो खूब वाह वाही भी बटोर चुके हैं इसके अलावा आप उन्हें रियल्टी शोज़ में बतौर जज भी देख सकते हैं।