Somvati Amavasya 2024: कब है साल की अंतिम अमावस्या? जानें महत्व, तिथि और शुभ मुहूर्त

somwati amawasya 2024

Somvati Amavasya 2024 Date and time, Somvati Amavasya Kab Hai: सालभर में कुछ 12 अमावस्या होती हैं. लेकिन दिसंबर माह की अमावस्या साल की आखिरी अमावस्या मानी जाती है. लेकिन इस वर्ष साल की आखिरी अमावस्या की तिथि पर सोमवार का दिन है, इसलिए यह सोमवती अमावस्या के नाम से जानी जाती है. आइए जानते हैं इस दिन क्या ख़ास है, क्या करना है, किस समय पर करना है.

सोमवती अमावस्या कब है | Somvati Amavasya 2024 Date and time

Somvati Amavasya 2024 Date: सनातन धर्म में अमावस्या की तिथि का विशेष महत्व है. प्रत्येक माह में कृष्णपक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है. ऐसे ही इस वर्ष पौष माह में पड़ने वाली अमावस्या बेहद खास मानी जा रही है, क्योंकि ये सोमवार के दिन पड़ रही है, जिसकी वजह से इसे सोमवती अमावस्या कहा जाएगा। यह साल 2024 की आखिरी अमावस्या है. लेकिन इस बार यह तिथि दो दिन होने के कारण असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि आखिर किस दिन सोमवती अमावस्या पड़ रही है. आइए जानते हैं की इस तिथि का सही दिन कौन सा है.

Somvati Amavasya 2024 Date and time: पंचांग के अनुसार, इस वर्ष पौष माह (paush amavasya 2024) की सोमवती अमावस्या की तिथि 30 दिसंबर की सुबह 4.01 बजे से शुरू होगी, जो 31 दिसंबर की सुबह 3.56 बजे तक समाप्त हो जाएगी। ऐसे में उदय तिथि के अनुसार साल 2024 की अंतिम अमावस्या सोमवार, 30 दिसंबर के दिन ही पड़ेगी।

सोमवती अमावस्या 2024 मुहूर्त | Somvati Amavasya 2024 Muhurat

सोमवती अमावस्या का मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 2 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 44 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। इस मुहूर्त में में पूजा करना शुभकारी माना जाता है.

सोमवती अमावस्या का महत्व | Somvati Amavasya Ka Mahatva

Importance of Somvati Amavasya: सोमवती अमावस्या के दिन स्नान-दान का विशेष महत्व है. सूर्योदय के समय पवित्र नदी में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही इस दिन दान और पितृ तर्पण करना अच्छा माना जाता है. ऐसा मान्यता है कि इस दिन कुछ ख़ास उपाय करने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है. यह भी कहा जाता है कि इस तिथि पर पीपल की पूजा करने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है.

सोमवती अमावस्या की पूजा-विधि | Somvati Amavasya Ki Puja Vidhi

प्रातः काल स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं और गंगाजल अर्पित करें। वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करें और ॐ नमः शिवाय का जाप करें। पीपल को कच्चा दूध, जल और चावल चढ़ाएं। अंत में हाथ जोड़कर परिवार की सुख समृद्धि और शांत के लिए प्रार्थना करें।

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