Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश अपनी खूबसूरत वादियों और नज़ारों के लिए प्रचलित हैं, हिमाचल की ठंडी हवाएं शुद्ध वातावरण में दिल को सुकून मिलता हैं. शहर की भाग दौड़ से दूरअक्सर लोग अपनी छुट्टियों को मनाने हिमाचल के पहाड़ों में जाते हैं, लेकिन हिमाचल जितना प्रकृति की खूबसूरती को समेटे हुए है उतना ही वहां कुछ ऐसे डरावने राज़ भी है जिनकी वजह से वहां के स्थानीय लोगों में डर का माहौल रहता है. आज हम हिमाचल के उस रूप की चर्चा करेंगे जिसे अक्सर छुपाया जाता है. या ये कहें की वहां जाना मुसीबत को बुलावा देने जैसा है.
Malana Gaon: (मलाणा गांव)
हिमाचल की खूबसूरत वादियों में एक ऐसा गांव है जहाँ जाना मना है। हिमाचल के कुल्लू में स्थित यह गांव मलाणा जहाँ दूसरे लोगों का आना वर्जित है, इस गांव के अपने नियम चलते हैं और ऐसा कहा जाता है यह एक शक्ति है जो जिसका अहसास गांव के लोगों को होता है. इस गांव के लोगों का कहना वह अलेक्सजेंडर द ग्रेट (Alexgender The Great) के वंशज हैं. इतना ही नहीं यह गांव इस लिए भी जाना जाता है क्युकी कोरोना माहवारी के वक्त यह गांव कोरोना से अछूत था.
कुल्लू के देवताओं की अदालत: (Kullu ke devtaon ki Adalat)
हिमाचल प्रदेश को यूँ ही देव भूमि नहीं कहा जाता बल्कि यहाँ सच में देवी देवताओं की कृपा और कुछ अजीबो गरीब किस्से देखे और सुने जाते हैं. जिसमे से एक है कुल्लू में देवी-देवताओं की कचहरी लगती है, जहाँ प्रत्येक घर के किसी एक सदस्य पर देवी देवताओ की बैठकी होती हैं और ऐसा किसी विशेष समय पर होता है जहाँ गांव के सभी घरो से देवी देवताओ की बैठकी एक साथ पुरे गांव में घूमते है और गांव की समस्याओ का जायज़ा लेती हैं. इसके बाद पंचायत लगती है और सभी समस्याओ का निराकरण किया जाता है. लेकिन यदि किसी ने देवी देवताओ की पंचायत में लिया गया फैसला मानने से इंकार कर दिया तो उसे देवी देवताओ के प्रकोप से कोई नहीं बचा सकता। और ऐसा करने वालों का या तो मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है या फिर उसकी मृत्यु हो जाती है.
हडिम्बा देवी: (Hadimba Devi)
महाभारत का एक ऐसा पात्र जिसने पांडवो के लिए अपनी जान दे दी जिसे घटोत्कच्छ के नाम से जाना जाता है, जो की भीम और राक्षसों की देवी हडिम्बा के पुत्र थे. उन्ही हडिम्बा देवी की मंदिर हिमाचल के मनाली में स्थित है. अजीब और डरावनी बात ये है की रात होते ही इस मंदिर से किसी की चिल्लाने की आवाज़ आती है. साथ ही किसी औरत की परछाई, चलने की आवाज़ उस मंदिर से आती है. लोगों का मानना है की यह पर अदृश्य शक्ति को महसूस किया गया है. जो की देवी हडिम्बा हैं. यह मंदिर पत्थर से नहीं बल्कि देवदार की लकड़ियों से बनी है. मंदिर में देवी हडिम्बा की कोई मूर्ति नहीं है बल्कि एक विशाल शिला है जिसे राक्षस कुल की देवी हडिम्बा के रूप में पूजा जाता है.
ग्यागी गांव का सुनसान श्मसान: (Gyagi gaon ka sunsan shmasan)
कुल्लू का एक ऐसा गांव जो ब्यास नदी के पास पहाड़ी इलाके में बसा हुआ है, जहां एक ऐसा श्मसान घाट है जिसे वहां के लोग “मौन स्थल” कहते हैं हर अमावस्या की रात इस घाट से बच्चो के रोने चिल्लाने की आवाज़े अति हैं और ऐसा लगता है जैसे कोई मंत्र जाओ कर रहा हो. उसी घाट में एक देवदार का पेड़ है जिसकी मान्यता है की जब गांव के किसी भी व्यक्ति की मौत बद्दुआ लगने से होती है उसकी आत्मा इसी पेड़ में रहती है कई लोगो ने उस पेड़ के नीचे काळा कपड़ो से लिपटे अदृश्य शक्तियों को भी देखा है जो पलभर में गायब हो जाती है. इतना ही नहीं उस घाट में एक कुत्ता है जिसका सर ही नहीं है जो लोगों का पीछा करता है. जिसकी वजह से उस घाट के पास जाने से लोग बहुत डरते हैं. एक और बात जो भी व्यक्ति उस घाट से गुजरता से उसे सपने में एक औरत दिखती है जो कहती है “मेरी चिता अधूरी रह गयी है, मुझे आग दो” लोगों का मानना है की ये उसी घाट की भटकती हुई आत्मा है.
कुल्लू घाटी का मूक गांव: (manhoos gaon)
कुल्लू की घाटी में एक ऐसा गांव है जिसे लोग मनहूस गांव कहते हैं, इस गांव के बारे में लोगन का कहना है की इस गांव में एक ऐसा वक्त आया था जब एक साथ पूरी एक पीढ़ी गूंगी हो गयी है. क्यूंकि इस गांव में कई साल पहके एक बीमारी फैली थी जिसमे लोगों की बोलने की शक्ति छिन गयी थी. जिसका कारण है गांव के बिच में स्थित वाणी माता जिन्हे मौन शक्ति के नाम से जाना जाता है. एक बार किसी तांत्रिक ने गलत मंत्र पढ़ कर देवी को नाराज़ कर दिया था जिसके बाद गांव के सभी बच्चों की आवाज़ें चली गयी. जिसका श्राप आज तक है क्युकी उस गांव में आज भी लोग सुनते हैं, देखते हैं लेकिन कुछ बोलता नहीं है. मनो जैसे सब गूंगे हो.