रीवा. रीवा के रास्ते एमपी से यूपी की सीमा में प्रवेश करने से पहले सोहागी पहाड़ से गुजरना पड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग 30 पर स्थित यह घाटी हादसों का अड्डा बन चुकी है। आए दिन यहां हादसे होते हैं। जिसमें लोगों की जानें जा रही हैं। हर बड़े हादसे के बाद इन्हे रोकने के लिए बैठकें होती हैं, बड़े-बड़े दावे और वादे किए जाते हैं। लेकिन जमीनी स्तर पर अमल नहीं हो पाता। जिसके चलते दुर्घटनाओं में कोई कमी नहीं हो रही है।
आंकड़ों पर नज़र डालें तो सोहागी पहाड़ पर हर माह 15 से 20 दुर्घटनाएं होती हैं। जिनमें कई वाहन चालक व यात्री अपनी जान गवां चुके हैं। बतादें कि सोहागी पहाड़ पर हुए भीषण बस हादसे में 15 यात्रियों की जान चली गई थी, जबकि आधा सैकड़ा से अधिक लोग घायल हुए थे। इस भयानक हादसे के बाद यहां सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण के लिए पहाड़ को काट कर अलग से लेन बनवाने, संकेतिक बोर्ड लगवाने, स्ट्रीट लाइट लगवाने सहित कई बड़े-बड़े दावे किए गए थे। इसके लिए बकायदा प्रस्ताव भी तैयार किया गया था। जिसे शासन को भेजा भी गया, लेकिन सारी कवायद इतने में ही सिमट गई। इन प्रस्तावों को न तो मंजूरी मिली और न ही यहां पर कोई काम हुआ। बतादें कि सोहागी पहाड़ पर हादसों को रोकने के लिए तत्कालीन एसडीएम संजीव पाण्डेय ने मोड़ का चौड़ीकरण और स्ट्रीट लाइट लगवाने के लिए कलेक्टर कार्यालय को पत्र लिखा था लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी की वजह से कोई काम नहीं हुआ।
इन वजहों से हो रही दुर्घटनाएं
- दरअसल सोहागी पहाड़ पर ढलान काफी ज्यादा है। जिससे नीचे की तरफ वाहन काफी तेजी से उतरता है और आखिर में 45 डिग्री का मोड़ है जहां चालक नियंत्रण नहीं रख पाते और हादसे का शिकार हो जाते हैं।
- सड़क हादसों को रोकने के लिए यहां संकेतक तो लगवाए गए हैं, लेकिन वह काफी छोटे होने के साथ ही उपयुक्त स्थान पर नहीं हैं। एक बोर्ड पहाड़ के नीचे लगा है जहां ट्रक की रफ्तार ज्यादा ही रहती, जिससे उस पर नजर नहीं पड़ती है। यदि उसे टोल प्लाजा के पहले लगा दिया जाए तो वाहन चालक आसानी से देख पाएंगे।
- हाइवे पर स्ट्रीट लाइट नहीं लगी होने से रात के समय अंधेरा रहता है। जिससे हादसे की आशंका बढ़ जाती है।
- हाइवे पर खराब होने वाले वाहनों को हटवाने में विलम्ब होता है, जिससे दुर्घटना का डर बना रहता है।