Social Media Side Effects: सोशल मीडिया पर बच्चों की उपस्थिति बेहद खतरनाक साबित हो रही है। एक तरफ सोशल मीडिया बच्चों को दुनिया भर के लोगों से जोड़कर उनके ज्ञान को बढ़ा रही है। दूसरी ओर अप्राकृतिक चीजें देखने से बच्चों का दिमाग क्रिमिनल बनता जा रहा है। डिजिटल दुनिया कम उम्र में ही बच्चों को अंधेरी गलियों में ढकेल रही है। इससे बच्चों के विकास पर असर पड़ रहा है। खासकर 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल ज्यादा नकारात्मक परिणाम दे रहा है। इसी के तहत आस्ट्रेलिया ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म को बैन करने का निर्णय लिया है।
फोन पर रिल्स में गुम हो गए बच्चे
एक्सपर्ट बताते हैं कि किशोरों के अत्यधिक इंटरनेट मीडिया उपयोग और उनकी नींद में बाधा, चिंता और अवसाद की बढ़ती दरों के बीच गहरा संबंध है। वे अभी अपनी पहचान विकसित कर रहे हैं और इंटरनेट मीडिया के फालोअर्स के लाइक्स और कमेंट्स के प्रति अत्यधिक सतर्क रहते हैं, जिससे वे इंटरनेट मीडिया के नकारात्मक प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील हो रहे हैं।
इंस्टाग्राम, फेसबुक और स्नैपचैट जैसे प्लेटफार्म की फिल्टर वाली दुनिया किशोरों में आत्म-संदेह को बढ़ा रही है, जहां किशोर लगातार अपनी तुलना इन चमकती रील्स से करते हैं और स्वयं पर सवाल उठाने लगते हैं। इसी तरह साइबरबुलिंग इंटरनेट मीडिया की एक बड़ी समस्या बन चुकी है। आनलाइन प्लेटफार्म पर होने वाले निगेटिव कमेंट और ट्रोलिंग की बारिश के विनाशकारी परिणाम हो जाते हैं, जो लोगों को अवसाद से लेकर आत्महत्या तक की तरफ धकेल देते हैं।
सोशल मीडिया से बच्चों को रखें दूर (Social Media Side Effects)
इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म मुख्य रूप से उपयोगकर्ता का डाटा एकत्र करके लाभ कमाते हैं। यह अक्सर संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग करते हैं, जिसे किशोर ठीक से नहीं समझते, जिससे वे गोपनीयता के उल्लंघनों और संभावित शोषण के लिए उच्च जोखिम पर होते हैं। इसके अलावा कच्ची उम्र होने के बावजूद यौन सामग्री से लेकर हिंसा जैसी अनुपयुक्त सामग्री के प्रति उनका व्यापक एक्सपोजर होता है। 16 वर्ष से कम उम्र के बालकों के लिए इंटरनेट मीडिया पर प्रतिबंध उनके व्यक्तिगत डाटा के संग्रह और दुरुपयोग से उन्हें बचाएगा।
दूसरी तरफ इंटरनेट मीडिया पर पूर्ण प्रतिबंध डिजिटल साक्षरता को बाधित कर सकता है। आधुनिक समय में डिजिटल साक्षरता एक महत्वपूर्ण कौशल है। इसलिए पूर्ण प्रतिबंध लागू करने के बजाय सूक्ष्म दृष्टिकोण लागू करना होगा, जो इंटरनेट मीडिया की निगरानी और मार्गदर्शित पहुंच के बीच से गुजरता है। ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि किशोरों की डिजिटल पहुंच को कैसे सुरक्षित किया जाए, न कि इंटरनेट मीडिया कंपनियों के हितों पर।
स्मार्टफोन के उपयोग की सीमाएं निर्धारित करें (Social Media Side Effects)
माता-पिता स्मार्टफोन के उपयोग की सीमाएं निर्धारित करने या उनकी गतिविधि की निगरानी करने के साथ ही किशोरों को डिजिटल साक्षरता संसाधनों को समझने की अनुमति देते हुए सुरक्षित पहुंच प्रदान कर सकते है। इसी तरह स्कूलों में डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए। इसके लिए इंटरनेट मीडिया से जुड़ी साक्षरता पर नए पाठ्यक्रम लागू करते हुए इंटरनेट मीडिया के लाभ-हानियों के बारे में शिक्षित करने, व्यक्तिगत डाटा की सुरक्षा करने और हानिकारक सामग्री की पहचान करने के सबक सिखाने चाहिए। इसके साथ ही सरकार इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्मों पर सामग्री के लिए आयु-आधारित प्रतिबंध अनिवार्य करे।
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