Siyaram Baba Passed Away: निमाड़ के संत बाबा सियाराम हुए गौलोकवासी, नर्मदा तट पर होगा अंतिम संस्कार

Siyaram Baba Passed Away: निमाड़ के संत सियाराम बाबा का आज देहावसान हो गया , आज उनकी आत्मा का परमात्मा से मिलन हो गया। वे आज आश्रम के पास नर्मदा नदी के तट पर पंचतत्व में विलीन होंगे। उनके निधन की खबर के बाद आश्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं। बता दें कि निमाड़ के संत सियाराम बाबा ने मोक्षदा एकादशी पर बुधवार सुबह 6:10 बजे देह त्याग दी है। वे कुछ दिनों से बीमार थे, आश्रम में ही उनका इलाज चल रहा था। रात में उनकी हालत काफी कमजोर हो रही थी और उन्होंने कुछ भी नहीं खाया था। उनके निधन की खबर मिलते ही खरगोन के भट्याण स्थित आश्रम पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। दोपहर तीन बजे उनकी पालकी निकाली जाएगी।

आज बाबा से मिलने वाले थे मुख्यमंत्री। Siyaram Baba Passed Away

आपको बता दें सियाराम बाबा के आश्रम के सेवादारों ने उनके अंतिम संस्कार के लिए चंदन की लकड़ी का इंतजाम किया है। पिछले तीन दिनों से आश्रम पर जुटे श्रद्धालु उनके स्वास्थ्य के लिए भजन-कीर्तन कर रहे थे। मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश के बाद डॉक्टरों की टीम लगातार उनके स्वास्थ्य पर नजर रख रही थी। सीएम यादव आज शाम बाबा से मिलने वाले थे, लेकिन अब वे उनके अंतिम दर्शन के लिए आ सकते हैं।

नर्मदा तट पर किया जाएगा बाबा सियाराम का अंतिम संस्कार।

सियाराम बाबा का अंतिम संस्कार बुधवार शाम को आश्रम के पास नर्मदा नदी के तट पर किया जाएगा। उनके निधन की खबर के बाद बड़ी संख्या में भक्त आश्रम पहुंचने लगे हैं। सीएम मोहन यादव बाबा के अंतिम दर्शन के लिए आएंगे। आपको बता दें कि बाबा को निमोनिया था, लेकिन वे अस्पताल में रहने के बजाय आश्रम में रहकर अपने भक्तों से मिलना चाहते थे। इसके चलते डॉक्टरों ने उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी।

सियाराम बाबा ने 12 साल तक मौन व्रत रखा। Siyaram Baba Passed Away

संत सियाराम बाबा ने नर्मदा के तट पर अपना आश्रम बनाया था। उनकी आयु 100 वर्ष से अधिक थी। बाबा ने बारह साल तक मौन व्रत भी रखा। आश्रम में उनसे मिलने आने वाला जो भक्त अधिक दान करना चाहता था, वे मना कर देते थे। वे केवल दस रुपये के नोट लेते थे। उस पैसे का उपयोग भी वे आश्रम से जुड़े कार्यों में करते थे। बाबा ने नर्मदा नदी के किनारे एक पेड़ के नीचे तपस्या की थी और बारह साल तक मौन रहकर अपनी साधना पूरी की थी। मौन व्रत तोड़ने के बाद उन्होंने सबसे पहला शब्द सियाराम बाबा कहा और भक्त उन्हें इसी नाम से पुकारने लगे। हर महीने उनके आश्रम में हजारों भक्त आते हैं।

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