Covid Fund Scam Karnataka : कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने कोविड के दौरान मेडिकल सामान की खरीद में कथित घोटाले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने का फैसला किया है। राज्य मंत्रिमंडल ने न्यायमूर्ति माइकल डी’कुन्हा की एक सदस्यीय जांच समिति द्वारा प्रस्तुत 11 खंडों की रिपोर्ट पर विचार किया। सरकार ने एसआईटी से आगे की जांच कराने का फैसला किया। मंत्रिमंडल ने इस जांच की निगरानी करने और भाजपा नेताओं पर नकेल कसने के लिए अगले कदमों पर फैसला लेने के लिए एक उप-समिति बनाने का भी फैसला किया है।
कर्नाटक सरकार ने ऑडिट अधिकारी को किया निलंबित। Covid Fund Scam Karnataka
कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि रिपोर्ट में 500 करोड़ रुपये की वसूली की सिफारिश की गई है। कर्नाटक सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान पीपीई किट और मेडिकल उपकरणों की खरीद में कथित अनियमितताओं की जांच के बाद राज्य लेखा और लेखा परीक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी को भी निलंबित कर दिया। निलंबन के समय किदवई मेमोरियल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑन्कोलॉजी में वित्तीय सलाहकार के रूप में काम कर रहे अधिकारी को खरीद मानदंडों का उल्लंघन करने और लापरवाही का दोषी पाया गया।
कैबिनेट बैठक में एसआईटी जांच शुरू करने का फैसला लिया गया।
आपको बता दें कि यह जांच हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस जॉन माइकल डी’कुन्हा द्वारा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को अंतरिम न्यायिक रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद शुरू की गई है। जस्टिस कुन्हा पैनल की रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान कैबिनेट की बैठक में एसआईटी जांच शुरू करने का निर्णय लिया गया। रिपोर्ट में मास्क, दवाइयां, ऑक्सीजन सिलेंडर और पीपीई किट से लेकर मेडिकल उपकरणों की खरीद में अनियमितताएं सामने आई हैं, जिसमें कई सामान बिना सरकारी मंजूरी के खरीदे गए हैं। आरोपों के मुताबिक मौत के आंकड़ों में भी हेराफेरी की गई है। कहा जा रहा है कि अनियमितताओं में शामिल कंपनियों को ब्लैक लिस्ट किया जाएगा।
55 हजार फाइलों के सत्यापन के बाद सौंपी गई आंशिक रिपोर्ट। Covid Fund Scam Karnataka
आयोग ने बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के चार जोन और राज्य के 31 जिलों से रिपोर्ट मांगी है। अभी तक उसे रिपोर्ट नहीं मिली है। संबंधित विभागों से 55 हजार फाइलों के सत्यापन के बाद आंशिक रिपोर्ट सौंपी गई है। मंत्री ने कहा कि रिपोर्ट के आधार पर समीक्षा और निगरानी के लिए एसआईटी और कैबिनेट उप समिति बनाने का निर्णय लिया गया है। यह भी निर्णय लिया गया है कि तुरंत वसूली की कार्यवाही शुरू की जाए तथा गलत कार्यों में संलिप्त कंपनियों या प्रतिष्ठानों को काली सूची में डाला जाए।