न्याजिया बेग़म
Singer Usha Mangeshkar Birthday: स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर की छोटी बहन ऊषा मंगेशकर यूं तो फिल्म जगत के ज़्यादा पास नहीं रहीं लेकिन जब उन्होंने 1975 की फिल्म जय संतोषी मां का गीत, ‘ मै तो आरती उतारूं रे ‘ गाया ,तो वो अचानक सुर्खियों में आ गई इस गाने में उन्हें फिल्मफेयर में सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका पुरस्कार के लिए नामांकित भी किया गया था ,इसके बाद श्रोताओं ने महसूस किया कि पूरे मंगेशकर परिवार पर मां सरस्वती की कृपा है सबके पास सुरीला गला है और उस पर उनकी संगीत के प्रति श्रद्धा और लगन उन्हें पारंगत बना देती है फिर चाहे वो आशा भोसले हों , मीना मंगेशकर हों या संगीतकार भाई हृदयनाथ मंगेशकर और इन सब भाई बहनों को संगीत की कला सीखने वाले परखी , पिता जी दीनानाथ मंगेशकर जो न केवल संगीतज्ञ थे बल्कि वो अपना थिएटर भी चला ते थे जिसके ज़रिए अभिनय की कला भी सभी बच्चों में आ गई जिसका इस्तेमाल सबने गायन में किया जिससे गायन के माध्यम से भावनाओं की अभिव्यक्ति और प्रभावशाली ढंग से हुई जो किसी भी कलाकार के लिए बेहद आवश्यक है मतलब गाने के भाव को हम सुन के महसूस कर सकें कि ये किन परिस्थितियों में किसके लिए गया जा रहा है क्योंकि बोल साफ तौर पर ये नहीं बताते कि वो किसके लिए हैं ये हमें मनोदशा के विवरण से समझना पड़ता है । भक्ति संगीत के अलावा ,1977 की फिल्म इनकार का एक और गीत था जो उन्हें एक महान गायिका साबित करता है वो थे हेलन पर फिल्माया गया “मुंगडा” ।
मराठी फिल्म पिंजरा के गीतों के लिए भी वो बेहद मशहूर हुई और पसंद की गईं फिर 1977 की ओडिया फिल्म “अभिमान” में अपने गीत छुपी छुपी गोरी काणे के लिए वो आज भी बार बार याद की जाती हैं अगर आपको याद न हो तो हम आपको बता दें कि उन्होंने दूरदर्शन के लिए संगीत नाटक फूलवंती का भी निर्माण किया था। संगीत के लिए उनका अमूल्य योगदान देखते हुए उन्हें 2020 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा लता मंगेशकर पुरस्कार दिया गया। उषा मंगेशकर जी ने कई मराठी , मणिपुरी , हिंदी , बंगाली , कन्नड़ , नेपाली , भोजपुरी , गुजराती , उड़िया और असमिया गाने गाए और अपनी अमित छाप छोड़ी है।
फिल्म जय संतोषी मां के 2006 में आए रीमेक के लिए भी उन्होंने ही गाने गाए। उषा मंगेशकर के गाए कुछ और गाने हम आपको याद दिलाए तो हमारे ज़हन में दस्तक देते हैं 1954 की फिल्म सुबह का तारा से “भाभी आई बड़ी धूम धाम से” गीत 1955 की फिल्म आज़ाद का गाना “अपलम चपलम” , लता मंगेशकर के साथ ,1963 की ब्लफ़ मास्टर से “चली चली कैसी हवा ये चली”,1963 की फ़िर वही दिल लाया हूँ का गीत ,”देखो बिजली डोले बिन बादल की” , आशा भोंसले के साथ । 1964 की चित्रलेखा का “काहे तरसाए जियारा” , आशा भोसले के साथ । 1974 की खोटे सिक्के से “प्यारी प्यारी सूरतवाले, हे मेरे अल्लाह इतने सारे” , आशा भोसले के साथ गाया , 1977 की फिल्म प्रियतमा के गाने “ना ना जाने ना दूंगी”, “तू जो बोले हान तो हान”
1979 की फिल्म तराना से “सुल्ताना सुल्ताना” 1979 की फिल्म काला पत्थर से “मुझे प्यार का तोहफा देके”1981 की
नसीब से “पकड़ो, पकड़ो, पकड़ो”और “रंग जमाके जायेंगे,”1982 की डिस्को डांसर से “गोरो की ना कालों की” इसके अलावा आपने दादा कोंडके के लिए कई मराठी गाने भी गाए , जिनमें पिंजरा का ” ढगाला लगली काला ” और “तुम्हावर केली में मरजी बहार” बहोत लोकप्रिय हुए । कुछ असमिया गीत भी उनकी आवाज़ में खूब पसंद किए गए वो इसी तरह गाती रहें और उनके स्वरों से लता दीदी की झलक हमें मिलती रहे इसी शुभकामना के साथ उनको जन्मदिन की हार्दिक बधाई।