न्याजिया बेग़म
Singer KS Chitra Birthday: कुछ गाने हमें बरबस ही अपनी ओर खींच लेते हैं और दिल में उतर जाते हैं जैसे :- बॉम्बे फिल्म का गीत कहना ही क्या, रोजा का ये हसीं वादियां, विरासत का पायली चुनमुन, लव का साथिया ये तूने क्या किया या रंगीला का, यारो सुन लो ज़रा, ज़िद्दी से हम तुमसे न कुछ कह पाए । पर इन गीतों में इतनी कशिश होना लाज़मी है क्योंकि इन्हें गया है दक्षिण भारत की बुलबुल कही जाने वाली, केएस चित्रा ने, जिन्होंने 1985 में हिंदी फिल्म संगीत में पदार्पण, एसपी वेंकटेश द्वारा रचित गीत के ज़रिए किया, फिर 1991 की हिंदी फिल्म लव के लिए, संगीतकार आनंद-मिलिंद ने उन्हें एसपी बालासुब्रमण्यम के साथ युगल गीत गाने के लिए बुलाया और ये गीत जब लोगों तक पहुंचा तो इस क़दर लोकप्रियता की सारी हदें पार कर गया कि आज भी पसंद किया जाता है इसके बाद चित्रा ने एक से बढ़कर एक लगभग 200 बॉलीवुड गीत गाए जिनमें उन्होंने 1991 से 1995 तक एआर रहमान के संगीत निर्देशन में बेहद सफल हिंदी गीत रहे जिसमें फिल्म बॉम्बे (1995) से “कहना ही क्या” गीत ने उन्हें बॉलीवुड फिल्म उद्योग में एक अलग पहचान दिलाई फिर फ़िल्म विरासत के गीत “पायली चुनमुन” के लिए चित्रा को सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार मिला और वो ये उपलब्धि हासिल करने वाली एकमात्र दक्षिण भारत की महिला गायिका बन गईं।
सबसे ज़्यादा हिंदी गाने अनु मलिक के संगीत निर्देशन में आए
उनके सबसे ज़्यादा हिंदी गाने अनु मलिक के संगीत निर्देशन में आए, जिसमें 2003 में मैं प्रेम की दीवानी हूँ फिल्म के ग्यारह में से आठ गाने उनकी आवाज़ में थे। कुछ और बेमिसाल नग़्मों की बात करें तो अशोका से “रात का नशा”, “प्यार तूने क्या किया “, “रंग दे बसंती” शीर्षक ट्रैक, अरमान से “मेरे दिल का तुमसे ही कहना” और “हाय कहना”। राजेश रोशन के संगीत में, फिल्म ” कोई … मिल गया” का शीर्षक गीत “कोई मिल गया” जैसे कई दिलकश गीतों के लिए उन्होंने फिल्मफेयर अवार्ड्स में नामांकन भी हासिल किया। फिल्म तुम बिन का गीत “तुम बिन जिया जाए कैसे” न केवल हिट रहा बल्कि उन्हें बहोत प्रशंसा भी मिली फिल्मी गानों के अलावा, चित्रा ने कई निजी एल्बमों के लिए भी गाने गाए जिनमें से पिया बसंती और सनसेट पॉइंट बेहद लोकप्रिय हुए और कई पुरस्कार भी अपने नाम किए ।
पार्श्व गायिका होने के साथ कर्नाटक शैली की संगीतकार
27 जुलाई 1963 को जन्मी कृष्णन नायर शांताकुमारी चित्रा के पिता कृष्णन नायर एक स्कूल शिक्षक और संगीत प्रेमी थे, जिन्होंने अपने तीनों बच्चों को संगीत की मूल बातें सिखाईं। उनकी माँ शांताकुमारी भी एक संगीत शिक्षिका थीं। उनकी एक बड़ी बहन केएस बीना हैं जो एक पूर्व गायिका हैं और छोटे भाई केएस महेश भी एक संगीतकार हैं। चित्रा को 1978 – 1984 की अवधि के दौरान भारत सरकार से राष्ट्रीय प्रतिभा खोज छात्रवृत्ति के लिए चुना गया था। वो पार्श्व गायिका होने के साथ कर्नाटक शैली की संगीतकार हैं और अपने 47 साल से अधिक के करियर में उन्होंने विभिन्न भारतीय भाषाओं के साथ-साथ मलय, लैटिन, अरबी, सिंहली, अंग्रेजी और फ्रेंच जैसी विदेशी भाषाओं में 25,000 से अधिक गाने हैं। उन्हें एआर रहमान, इलैयाराजा, हमसलेखा, एमएम कीरावनी जैसे संगीतकारों और पार्श्व गायकों जैसे केजे येसुदास और एसपी बालासुब्रमण्यम के साथ वर्षों के सहयोग से व्यापक इतिहास रचा है।
ब्रिटिश संसद द्वारा सम्मानित होने वाली पहली भारतीय महिला
उन्हें 2001 में विश्व के प्रतिष्ठित रॉयल अल्बर्ट हॉल, लंदन द्वारा गोल्डन वॉयस ऑफ इंडिया के रूप में उद्धृत किया गया है और 2003 में हाउस ऑफ कॉमन्स, यूनाइटेड में ब्रिटिश संसद द्वारा सम्मानित होने वाली पहली भारतीय महिला होने के लिए 2018 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा फर्स्ट लेडीज की उपाधि से सम्मानित किया गया है। 2024 में, उन्हें फिर से ब्रिटिश संसद , यूनाइटेड किंगडम द्वारा द ग्रेटेस्ट इंडियन सिंगर ऑफ ऑल टाइम्स की उपाधि से सम्मानित किया गया । चित्रा, छह राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार , नौ फिल्मफेयर पुरस्कार, दक्षिण और भारत के छह राज्यों से 36 विभिन्न राज्य फिल्म पुरस्कारों की प्राप्तकर्ता हैं जिनमें 16 केरल राज्य फिल्म पुरस्कार , 11 आंध्र प्रदेश राज्य फिल्म पुरस्कार , 4 तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार , 3 कर्नाटक राज्य फिल्म पुरस्कार , 1 उड़ीसा राज्य फिल्म पुरस्कार , 1 पश्चिम बंगाल राज्य फिल्म पुरस्कार शामिल हैं । उन्हें भारतीय संगीत में उनके बहुमूल्य योगदान के लिए 2021 में भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण और 2005 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
अंतर्राष्ट्रीय नदी महोत्सव में सम्मानित
2009 में, वह किंगहाई अंतर्राष्ट्रीय नदी महोत्सव में लाइव प्रदर्शन करते हुए चीन सरकार द्वारा सम्मानित होने वाली पहली भारतीय कलाकार बनीं । लता मंगेशकर के बाद, वो 2001 में लंदन के प्रतिष्ठित रॉयल अल्बर्ट हॉल में प्रदर्शन करने वाली भारत की दूसरी महिला पार्श्व गायिका बनीं और उनके प्रदर्शन को अंतरराष्ट्रीय दर्शकों से भरे कमरे में बहुत सराहना मिली। फिल्म बॉम्बे (1995) से उनका गाना ” कन्नालाने/कहना ही क्या ” यूनाइटेड किंगडम द गार्जियन की “1000 गानों की ” सूची में शामिल किया गया था । केएस चित्रा को मलयालम प्लेबैक से एमजी राधाकृष्णन ने 1979 में परिचित कराया, उन्होंने केजे येसुदास के साथ भारत और विदेशों में लाइव संगीत कार्यक्रम भी किए। बॉम्बे रवि द्वारा रचित फिल्म नखक्षथंगल (1986) के गीत “मंजल प्रसादावम” ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का दूसरा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिलाया । उन्हें “केरल की कोकिला (वनमबदी)” माना जाता है। चित्रा का पहला तेलुगु गाना इलैयाराजा द्वारा रचित तमिल फिल्म सिंधु भैरवी (1985) के डब संस्करण से “पाडालेनु पल्लवैना” था ,आज उनके जन्म दिवस के शुभ अवसर पर हमने याद किया। प्यार से भारतीय सिनेमा की लिटिल नाइटिंगेल कही जाने वाली चित्रा के अब तक के सफर को और हमारी दुआ है ये ऐसे ही चलता रहे।