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Singer Devaki Pandit Birthday Special | फेमस सिंगर देवकी पंडित के बारे में जानें सब कुछ

Singer Devaki Pandit Birthday Special

Singer Devaki Pandit Birthday Special

Singer Devaki Pandit Birthday Special: गायन की अपनी अनूठी शैली को विकसित करके अपने शानदार प्रदर्शन के माध्यम से उन्होंने कई संगीत प्रेमियों के दिलों को जीता है,अपनी आवाज़ और अपने अनूठे व्यक्तित्व में आकर्षण के ज़रिए वो किसी भी रचना के भाव को सार्थक कर देती हैं। हम बात कर रहे हैं, देवकी पंडित की जो एक भारतीय शास्त्रीय गायिका हैं।

देवकी 6 मार्च 1965 को ऐसे मराठी वंश में जन्मी जहां एक से बढ़कर एक कलाकार थे, और यही वजह थी कि वो बचपन से संगीत के सात सुरों से परिचित हो गईं देवकी कहती हैं, “संगीत में सौंदर्य तब निकलता है, जब पूरी तरह से स्वर को आत्म-समर्पण किया जाए। संगीत के साथ मेरी यात्रा साधना के माध्यम से उस सौंदर्य को प्राप्त करना है।

Singer Devaki Pandit Biography

मैंने बहुत कम उम्र में इस सह-संबंध को समझ लिया था क्योंकि मैं कलाकार संगीतकारों, अभिनेताओं, लेखकों से घिरी हुई थी ,मुझे हर पल ये याद रहता था कि मेरी नानी मंगला रानाडे और उनकी बहनें प्रसिद्ध संगीतकार और गायिका थीं।

देवकी पंडित पद्म विभूषण गणसरस्वती, किशोरी अमोनकर और पद्मश्री पं जितेन्द्र अभिषेकी की शिष्या हैं। उनकी गायकी पौराणिक गुरुओं और संगीत के प्रति उनके अद्वितीय सौंदर्य दृष्टिकोण से प्रभावित है।

उन्हें अपनी माँ श्रीमती उषा पंडित द्वारा संगीत में दीक्षा मिली 9 वर्ष कीआयु में अपना औपचारिक प्रशिक्षण पं वसंतराव कुलकर्णी से प्राप्त किया। बाद में उन्होंने आगरा घराने के पं बबनराव हल्दांकर और डॉ अरुण द्रविड़ से भी मार्गदर्शन प्राप्त किया, जो खुद गानसरस्वती किशोरीताई अमोनकर के शिष्य भी हैं।

Singer Devaki Pandit Life Story

वो कहती हैं, “मेरी मां उषा पंडित, मेरी प्रथम गुरु हैं , जो खुद पं जितेंद्र अभिषेकी की शिष्या है , उन्होंने ही मुझे संगी त की मूल बातें सिखाईं, लेकिन हमेशा मुझे बार-बार परखा; कि संगीत के लिए एक गहन, आजीवन प्रतिबद्धता के साथ समर्पित रहने की दृढ़ता मुझ में है कि नहीं। इस सतर्क और आत्म-विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण ने मुझे महान पौराणिक गुरुओं से ज्ञान प्राप्त करने में मेरी मदद की। ”

संगीत सभी सीमाओं को पार करने के लिए जाना जाता है, और यह देवकी पंडित के साथ अलग नहीं था। आगरा घराने से प्रशिक्षण लेकर,इन्होंने बारह साल की उम्र से ही पेशेवर गायिका के रूप से गाना शुरू कर दिया था किसी एल्बम के लिए पहली बार उन्होंने बच्चों के लिए गाना रिकॉर्ड किया था। अपनी माँ और अपने गुरुओं से बारीकियां को सीखने के साथ, देवकी एक निपुण गायिका के रूप में फली-फूली।

बहुमुखी प्रतिभा प्राप्त करने के लिए उनकी उत्सुक संवेदनाओं और उत्सुकता ने उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत के अलावा संगीत के विभिन्न रूपों जैसे भजन, गजल, अभंग, फिल्मों के लिए गायन में भी उन्हें पारंगत और निपुड़ कर दिया , आगे जाकर उन्होंने प्रसिद्ध कलाकारों के साथ फ़िल्मों, टेलीविज़न और शास्त्रीय प्रदर्शनों के क्षेत्र में साथ दिया जैसे पं हृदयनाथ मंगेशकर, उस्ताद रईस खान, गुलज़ार, विशाल भारद्वाज, नौशाद, जयदेव, जतिन-ललित, उस्ताद ज़ाकिर हुसैन,
केसरबाई केरकर छात्रवृत्ति – लगातार दो बार प्राप्त करने वाली वो एकमात्र व्यक्ति हैं .

Singer Devaki Pandit Awards

1986 – को आपको “सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका” फिल्म अर्धांगी के लिए महाराष्ट्र राज्य पुरस्कार दिया गया
2001 और 2002 – को अल्फा गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
2002 – में “सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका” के लिए महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार मिला
2002 – को मेवाती घराना पुरस्कार से नवाजा गया तो
2006 में आदित्य बिड़ला कला किरण पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
शास्त्रीय संगीत में ताना ररी की रचना देवकी पंडित ने ही की और भी कई रागों को गाने में महारथ हासिल किया है। उन्होंने श्रीरामरक्षा स्तोत्रम, आराधना महाकाली और गणाधेश की रचना की साथ ही 32 विभिन्न हिंदुस्तानी शास्त्रीय रागों में राम रक्षा स्तोत्र गाया।

मराठी में सदाबहार गीते- खंड अनमोल गानी गुरुकृपा जैसी लोकप्रिय रचनाओं को आवाज दी तो यादगार ग़ज़ल, सुनो ज़रा और फिल्म साज़ का “फ़िर भोर भये, जागा मधुबन” जैसा बेहद मधुर गीत भी गाया जो प्रसिद्ध तबला वादक ज़ाकिर हुसैन द्वारा रचित था। वो ऐसे ही गाती रहे आज के दिन की शुभकामनाओं के साथ हमारी यही दुआ है।

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