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Silver Price 17 फीसदी तक गिरे! Gold में क्या है हाल जानें विशेषज्ञों की सलाह

Silver Price At All-Time High Gold Price Rise Market Movement

Silver Price Record High: सोना भी महंगा, बाजार में हलचल

Gold Silver Prices: देशभर में सिल्वर की कीमतों में पिछले 10 दिनों में लगभग 17 फीसदी की गिरावट देखी की गई है. गौरतलब है कि, यह गिरावट 31,000 हजार प्रति किलोग्राम की बड़ी कमी के बाद शुक्रवार को ₹1.47 लाख प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई. इसी तरह, सोने की कीमतों में भी 6.41% की सुधार देखने को मिली और 10 ग्राम सोने की कीमत 1,22,419 रुपये पर आ गई. विशेषज्ञों का कहना है कि Short Term Profit Booking और Global Supply में सुधार इसकी प्रमुख वजहें हैं.

Global Supply और Spot Price पर असर

लंदन बुलियन बाजार, जो कि ग्लोबल सिल्वर ट्रेडिंग (global silver trading) का प्रमुख हब है, यहाँ सिल्वर की उपलब्धता बढ़ने से स्पॉट प्राइस में गिरावट आई. बीते हफ़्ते अमेरिका और चीन से बड़ी क्वांटिटी लंदन भेजी गई, जिसने शॉर्ट-टर्म डिमांड-सप्लाई इम्बैलेंस को नॉर्मलाइज़ किया. इंटरनेशनल मार्केट में, स्पॉट सिल्वर $48.5 प्रति ट्रॉय औंस पर ट्रेड कर रही थी, जबकि एक सप्ताह पहले यह $54.47 थी. विशेषज्ञों का मानना है किलंदन वॉल्ट्स में उपलब्धता का डायरेक्ट असर इंडिया स्पॉट सिल्वर प्राइसिज पर पड़ता है.

Industrial Demand और Strategic Investment

मौजूदा वर्ष में चांदी की Run Away Prices की मुख्य वजह स्ट्रॉन्ग इंडस्ट्रियल डिमांड रही है, जैसे Solar Energy, Electric Vehicles, 5G टेलिकॉम डिवाइसेस और AI हार्डवेयर माइनिंग और रीसाइक्लिंग की लिमिटेड सप्लाई कंस्ट्रेंट्स ने भी कीमतों को पुश किया. Nippon India Mutual Fund के विक्रम धवन के मुताबिक, शॉर्ट-टर्म ट्रेडर्स अपने एक्सपोज़र एडजस्ट कर रहे हैं, जबकि सेंट्रल बैंक और लॉन्ग-टर्म ETFs (long-term ETFs) इस कीमतों में गिरावट को नॉर्मलाइजेशन फेज़ के रूप में देख सकते हैं.

रिटेल सेंटिमेंट और लॉन्ग-टर्म आउटलुक

धनतेरस पर इंडियन कंज्यूमर्स ने सिल्वर और गोल्ड कॉइन्स (gold coins) की खरीदारी की और कई इन्वेस्टर ने ETFs में एक्सपोज़र लिया. LKP सिक्योरिटीज़ के जतीन त्रिवेदी के मुताबिक, रिटेल बायर्स स्मॉल डिनॉमिनेशन्स (retail buyers small denominations) में इन्वेस्ट कर रहे हैं और डिप का यूज़ ग्रैजुअल री-एंट्री के अवसर के रूप में कर रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि ग्लोबल अनसर्टेंटीज़ और सेंट्रल बैंक बाइंग ट्रेंड्स के चलते कीमती मेटल्स का लॉन्ग-टर्म आउटलुक पॉज़िटिव है.

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