Silver Price Surge : भारतीय सर्राफा बाजार में हाल ही में एक ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिला है। चांदी ने पहली बार ₹1.5 लाख प्रति किलो का स्तर पार कर लिया है। यह तेजी सिर्फ एक दिन की नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई प्रकार के बड़े आर्थिक और वैश्विक कारण छिपे हैं। खास बात यह है कि इस बार चांदी की रफ्तार सोने से भी ज्यादा तेज रही है, जिससे निवेशकों का ध्यान अब गोल्ड से हटकर सिल्वर की ओर बढ़ रहा है।
चांदी की कीमत में अचानक उछाल क्यों?
चांदी की कीमतों में आई इस तेजी का सबसे बड़ा कारण वैश्विक मांग में बढ़ोतरी बताई जा रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमजोर डॉलर और ब्याज दरों को लेकर अनिश्चितता के चलते निवेशक सुरक्षित विकल्प तलाश रहे हैं। ऐसे में चांदी एक मजबूत निवेश विकल्प बनकर उभरी है।
इसके अलावा, कुछ देशों द्वारा चांदी की सप्लाई को लेकर सख्ती की आशंका ने भी बाजार में डर पैदा किया, जिससे कीमतें और भी ऊपर चली गईं हैं।
इंडस्ट्रियल डिमांड ने बढ़ाया दबाव
चांदी केवल गहनों तक सीमित धातु नहीं है। इसका उपयोग सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक व्हीकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और मेडिकल उपकरणों में बड़े पैमाने पर होता है। ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग ने चांदी की औद्योगिक खपत को और भी तेज कर दिया है।
यही कारण है कि Silver Price Surge को सिर्फ निवेश नहीं, बल्कि इंडस्ट्री से जुड़ा ट्रेंड भी माना जा रहा है।
सोने के मुकाबले चांदी आगे कैसे?
हालांकि सोना हमेशा से सुरक्षित निवेश माना जाता रहा है, लेकिन मौजूदा समय में चांदी को दोहरा फायदा मिल रहा है। इसके पीछे दो मुख्य कारण है पहले निवेश की बढ़ती मांग और दूसरा औद्योगिक उपयोग मजबूत होना।
इसी वजह से चांदी की कीमतों में उतार-चढ़ाव ज्यादा है, लेकिन रिटर्न भी तेज मिल रहा है। यही कारण है कि चांदी ने इस बार सोने को और भी पीछे छोड़ दिया।
निवेशकों के लिए क्या संकेत?
विशेषज्ञों का मानना है कि चांदी में अभी भी मजबूती बनी रह सकती है, हालांकि ऊंचे स्तरों पर थोड़ी अस्थिरता संभव हो सकता है। लंबे समय के निवेशक इसे भविष्य की इंडस्ट्रियल ग्रोथ से भी जोड़कर देख रहे हैं।
₹1.5 लाख प्रति किलो का स्तर पार करना यह साफ दिखाता है कि चांदी अब सिर्फ एक कीमती धातु नहीं, बल्कि एक मजबूत निवेश और इंडस्ट्रियल एसेट बन चुकी है। आने वाले समय में अगर वैश्विक हालात ऐसे ही बने रहे, तो Silver Price Surge निवेश बाजार की दिशा बदल सकता है।

