Shyamlal Babu Rai Death Anniversary | मशहूर शायर और गीतकार श्यामलाल बाबू राय उर्फ इंदीवर की पुण्यतिथि आज

Shyamlal Babu Rai Death Anniversary:

Shyamlal Babu Rai Death Anniversary: हमारे दिल के जज्बातों को ज़ुबाँ देते हैं हमारी ही बोली में , इन लफ्जों में घुल जाता है हर एहसास गीतों की रंगोली में। हम बात कर रहे हैं श्यामलाल बाबू राय की जिन्हें हम , इंदीवर के नाम से जानते हैं वो 1960 के दशक के प्रमुख हिंदी फिल्म गीतकारों में से एक थे।

आपका जन्म उत्तर प्रदेश के झाँसी जिले के बरुआ सागर में सन 1924 को हुआ था वो जैसे जैसे बड़े हुए लफ्जों से खेलने लगे जो भी अल्फाज़ उनकी कलम से निकलते नायाब कलाम बन जाते यूं लगता बस तरन्नुम में बयां होने की देर है अपने इस हुनर को वो जल्दी ही पहचान गए और नग्मा निगार बनने की चाहत लिए मुंबई चले गए ।

उन्हें 1951 में फिल्म मल्हार से पहचान मिली , जिसमें उन्होंने “बड़े अरमानों से रक्खा है बलम तेरी कसम” गीत लिखा, जिसे रोशन ने संगीत दिया था। उन्होंने अपने चार दशकों से अधिक लंबे करियर में 300 से अधिक फिल्मों में एक हजार से ज़्यादा गाने लिखे। इंदीवर ने मशहूर पॉप जोड़ी नाज़िया हसन और ज़ोहैब हसन के लिए भी गाने लिखे । नाज़िया हसन के प्रसिद्ध गीतों ,” आप जैसा कोई मेरी जिंदगी में आए तो बात बन जाए “, “बूम बूम”, “मेहरबानी”, और “दिल की लगी ।से वो काफी मक़बूल ओ मारूफ हो गए।

वो कहते थे की मेरे गीतों में मिली जुली भाषा होती है क्योंकि ये ज़्यादा लोगों को समझ में आती है और यही हमारी फिल्मों में भी सुनने मिलती है जिसमे न ख़ालिस उर्दू होती है न हिंदी पर कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो या तो सिर्फ उर्दू में अच्छे लगते हैं या फिर हिंदी में । जिन्हें हम आसानी से बोल और समझ सकते हैं जैसे , गीत ,छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए , इसमें मुनासिब शब्द उर्दू हैं पर हमारी आमबोलचाल की भाषा में शामिल है ,कई भाषाओं के ज्ञाता इंदीवर ने कभी कभी ख़ालिस हिंदी में भी गीत लिखे जिनमे चंदन सा बदन चंचल चितवन को हम याद कर सकते हैं।

उनके गंभीर दिल में उतर जाने वाले गीतों ने कई दिलों को ढाढस बंधाया ,तो कई दिलों ने प्यार की दुनिया में पहला क़दम भी रखा, तेरा आंचल है तो पतवार भी दरकार नहीं जैसे अल्फाजों ने जिंदगी का नया नज़रिया नया फलसफा पेश किया हमारे बीच , तो वहीं भाई बहन के दिल के जज़्बात भी बयां किए ,मेरी प्यारी बहनियां बनेगी दुलहनियां और बहना ने भाई की कलाई पर जैसे गीत लिख कर जो आज भी पुर असर और अनमोल हैं।

कहीं दुआ है तो कहीं प्रेम का अथाह सागर जिसमें कोई सज़ा नही है जैसे रौशन तुम्ही से दुनियां रौनक तुम्ही जहां की ,या कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे , इन गीतों को सुनके यूं लगता है कि उनके शब्दों को आत्मसात करके हम भी उनके जैसे महान बन सकते हैं हम भी किसी से कुछ सीख सकते हैं किसी की खुशी के लिए खुद को थोड़ा बदल सकते हैं।

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