Shyam Benegal Death : 80ज बॉलीवुड फिल्मों के विलेन मोगेंबो अमरीशपुरी से लेकर स्मिता पाटिल तक का सिनेमा से परिचय कराने वाले फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल का निधन हो गया। 23 दिसंबर की शाम साढ़े छह बजे उन्होंने 90 वर्ष की उम्र में आखिरी सांस ली। बीते 14 दिसंबर को ही उन्होंने अपना 90वां जन्मदिन मनाया था। बताया जा रहा है कि दो साल पहले उनकी दोनों किडनी खराब हो गईं थी। वह लंबे समय से किडनी की समस्या से लड़ रहें थे। उनके निधन से बॉलीवुड जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। हर कोई सोशल मीडिया पर श्याम बेनेगल के लिए दुख प्रकट कर रहा है।
जुबेदा के निर्देशक श्याम बेनेगल का निधन | Shyam Benegal death
बॉलीवुड को एक से बढ़कर एक फिल्म देने वाले 90 वर्षीय निर्देशक श्याम बेनेगल का बीते सोमवार को निधन हो गया। कल शाम 6 बजकर 30 मिनट पर उन्होंने आखिरी सांस ली। वह लंबे समय से किडनी खराब होने के चलते बीमार चल रहे थे। दिवंगत निर्देशक श्याम बेनेगल का अंतिम संस्कार मुंबई के शिवाजी पार्क इलेक्ट्रिक क्रिमेटोरियम में दोपहर 2 बजे किया जाएगा।
बेनेगल को 8 फिल्मों के लिए मिला था नेशनल अवॉर्ड
80 के दशक के निर्देश श्याम बेनेगल ने 90ज में जुबेदा, मंथन, मंडी, आरोहन, भूमिका जैसी हिट फिल्में बनाकर बॉलीवुड में सबसे ज्यादा नेशनल अवॉर्ड जीते थे। उन्होंने अपनी आठ फिल्मों के लिए पुरस्कार प्राप्त किया था। उनकी फिल्म मंथन ऑस्कर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट हुई थी। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू और सत्यजीत रे पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाई थी। इसके साथ ही टीवी के लिए भी काम किया था। उनका टीवी शो ‘यात्रा, ‘कथा सागर’ और ‘भारत एक खोज’ दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ था।
अमरीशपुरी को सिनेमा में बेनेगल लाए थे | director Shyam Benegal
बॉलीवुड के अस्सी के दशक में श्याम बेनेगल एक ऐसी शख्सियत थे, जिन्होंने अमरीशपुरी से लेकर स्मिता पाटिल तक को न सिर्फ सिनेमा में प्रवेश कराया बल्कि सिनेमा में पहचान भी बनवाई। अमरीशपुरी को सिनेमा में लाने वाले श्याम बेनेगल ही थे। हालांकि बेनेगल अमरीश को फिल्मों में हीरो बनाने के लिए लाए थे लेकिन कामयाबी अमरीशपुरी को विलेन के किरदारों में मिली। निर्देशक श्याम बेनेगल ने हमेशा ही बॉलीवुड को तड़क-भड़क से दूर विचारात्मक फिल्में दी। जो सामाजिक घटनाओं और समस्याओं पर आधारित हैं।
श्याम बेनेगल की पहली फिल्म को मिला था अवॉर्ड
निर्देशक श्याम बेनेगल को उनकी पहली फिल्म अंकुर के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया था। इस फिल्म में शबाना आजमी ने अभिनय किया था। शबाना आजमी की भी यह पहली फिल्म थी। उन्होंने फिल्म अंकुर में लक्ष्मी का किरदार निभाया था। पहली ही फिल्म के लिए शबाना को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला था। यह कहना गलत नहीं होगा कि शबाना का फिल्मी सफर शुरू करने वाले भी श्याम बेनेगल ही थे।
फिल्मों में खुद को खोजते थे श्याम बेनेगल | shyam benegal passed away
अपनी कामयाबी को लेकर श्याम बेनेगल ने एक बार कहा था, “मैं अपने आप को खोज रहा था”। यह उनकी रचनात्मक फिल्मों को समझने का एक संकेत था। वह अपनी फिल्मों के माध्यम से सिर्फ कहानियां नहीं कहते थे बल्कि खुद भी उस कहानी को समझने का प्रयास करते थे और दूसरों को भी समझाते थे। उनकी फिल्मों में समाज से जुड़ी गहरी सोच शामिल होती थी। श्याम बेनेगल से एक इंटरव्यू में जब पूछा गया था कि आपने अब तक जितनी फिल्मों का निर्देशन किया है, क्या उनमें से कोई ऐसी फिल्म है जिसके लिए आप मशहूर हों? तब उन्होंने कहा था, “हां, मैंने जितनी भी फिल्में निर्देशित की हैं। मैं उन फिल्मों से नाखुश नहीं हूं लेकिन मैं उस ऊर्जा और प्रेरणा से काम करना जारी रखता हूं जिससे एक कलाकार को संतुष्ट नहीं होना चाहिए। मैं अपनी फिल्मों के साथ खुद को खोज रहा था। मेरे लिए फिल्में बनाना आसान था। लेकिन उसके लिए आंतरिक संघर्ष था।”
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