Shubhanshu Shukla Return : शुभांशु शुक्ला ने 18 दिनों तक अंतरिक्ष में क्या-क्या किया?

Shubhanshu Shukla Return : भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने 18 दिनों की अपनी ऐतिहासिक यात्रा पूरी कर आज धरती पर वापसी कर ली है। धरती पर लौटने के बाद शुभांशु का जोरदार स्वागत हुआ। उनका स्पेसएक्स का कैप्सूल प्रशांत महासागर में उतरने के बाद तुरंत ही खोल दिया गया। जिससे सबसे पहले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन बाहर निकली और उसके बाद शुभांशु शुक्ला बाहर आए। बाहर आते ही शुभांशु के चेहरे पर जीत और घर वापसी की खुशी साफ झलक रही थी। उन्होंने हाथ हिलाकर सबको नमस्ते किया और अपने खुशी का इजहार किया।  

एक्सिओम मिशन पर गए ISS गए थे शुभांशु

शुभांशु शुक्ला जब अपनी अंतरिक्ष यात्रा पूरी कर धरती पर लौटे तो भारत के लिए बहुत वह गर्व का पल था। शुभांशु शुक्ला पहले भारतीय हैं, जिन्होंने प्राइवेट स्पेस मिशन के तहत ISS तक की यात्रा की और सुरक्षित वापस आए। यह उनकी पहली अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) यात्रा थी, जो एक्सिओम मिशन 4 (Ax-4) का हिस्सा थी। इस दौरान उन्होंने न केवल कई वैज्ञानिक प्रयोग किए, बल्कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए भी जरूरी अनुभव हासिल किया। 

शुभांशु शुक्ला ने ISS पर 60 प्रयोग किए

शुभांशु शुक्ला 25 जून 2025 को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से रवाना हुए थे। 26 जून को भारतीय समयानुसार दोपहर 4:01 बजे ISS से जुड़ गए। वे पहले भारतीय हैं जो पहली बार ISS पर पहुंचे। शुभांशु ने इन 18 दिनों में कई प्रयोगों में हिस्सा लिया। इस 18 दिन की यात्रा में उन्होंने वैज्ञानिक शोध, जनसंपर्क और भारत के गगनयान मिशन की तैयारी में हिस्सा लिया।  उन्होंने ISS पर करीब 60 प्रयोग किए, जिनमें से 7 खास भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा बनाए गए थे। 

ISS पर शुभांशु शुक्ला द्वारा किये गए प्रयोग 

मायोजेनेसिस (Myogenesis)

इसमें उन्होंने मांसपेशियों के नुकसान का अध्ययन किया, जो माइक्रोग्रैविटी में होता है। इससे पता चला कि बिना गुरुत्वाकर्षण के मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, और इससे ऑस्टियोपोरोसिस जैसे रोगों का इलाज भी संभव हो सकता है।  

टार्डिग्रेड्स (Tardigrade Experiment)

इसमें छोटे माइक्रो-जानवरों का अध्ययन किया गया, जो चरम परिस्थितियों में भी जीवित रह सकते हैं। ये अध्ययन लंबी यात्राओं में मददगार हो सकते हैं।  

बीज अंकुरण (Seed Sprouting)

शुभांशु ने मेथी और मूंग जैसे बीजों को अंतरिक्ष में उगाया और उनके गुण, जेनेटिक बदलाव और पोषण का अध्ययन किया। यह प्रयोग भविष्य में अंतरिक्ष में फसल उगाने की दिशा में मदद कर सकता है।  

साइनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria Study)

इसमें जल बैक्टीरिया की वृद्धि और गतिविधि का अध्ययन किया गया, जो चंद्रमा या मंगल पर जीवन समर्थन प्रणाली के लिए उपयोगी हो सकते हैं।  

माइक्रोएल्गे (Microalgae Experiment)

यह प्रयोग भोजन, ऑक्सीजन और बायोफ्यूल के स्रोत के रूप में माइक्रोएल्गे का परीक्षण है।  

क्रॉप सीड्स (Crop Seeds Study)

इसमें छह तरह के फसल बीजों की वृद्धि का अध्ययन किया गया, ताकि समझा जा सके कि अंतरिक्ष में ये कैसे उगते हैं।  

वॉयेजर डिस्प्ले (Voyager Display)

इसमें माइक्रोग्रैविटी में आंखों और दिमाग पर असर का अध्ययन किया गया।  

बेटे की घर वापसी पर ख़ुश हुए शुभांशु के पिता 

शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा न केवल भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नई मिसाल है, बल्कि यह देश की अंतरिक्ष योजना को नई ऊर्जा भी दे रही है। शुभांशु शुक्ला के पिता ने कहा, “मिशन सफल रहा, सबकी दुआओं का असर है। हमारा बेटा सकुशल घर वापस आ गया है।” उन्होंने यह भी कहा कि शुभांशु के आने-जाने के दौरान थोड़ा डर भी लगा था, पर अब सब ठीक है। देश के 140 करोड़ लोगों की दुआओं से यह सफलता मिली है।  

पीएम मोदी ने शुभांशु को दी शुभकामनायें

प्रधानमंत्री मोदी ने भी शुभांशु को बधाई देते हुए कहा, “मैं पूरे देश के साथ ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का स्वागत करता हूं, जो अपने बड़े मिशन से वापस लौट आए हैं। यह हमारे मानव स्पेस मिशन ‘गगनयान’ की दिशा में एक बड़ा कदम है।”  

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