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Durga Chalisa Path Lyrics in Hindi: शारदीय नवरात्र में मां-दुर्गा को प्रसन्न करने करें दुर्गा चालीसा पाठ, जानें पूजा विधि व महत्व

Durga Chalisa Path Lyrics in Hindi: शारदीय नवरात्र में मां-दुर्गा को प्रसन्न करने करें दुर्गा चालीसा पाठ, जानें पूजा विधि व महत्व

Durga Chalisa Path Lyrics in Hindi: शारदीय नवरात्र में मां-दुर्गा को प्रसन्न करने करें दुर्गा चालीसा पाठ, जानें पूजा विधि व महत्व

Durga Chalisa Path Lyrics in Hindi: शारदीय नवरात्र भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जब पूरे देश में श्रद्धालु माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना करते हैं। इन नौ दिनों तक उपवास, पूजा और भक्ति का विशेष महत्व होता है।

ऐसा माना जाता है कि नवरात्र में माता की आराधना पूरे मन से करने पर सभी दुख दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। दुर्गा चालीसा का पाठ विशेष रूप से मां को प्रसन्न करने का सरल और प्रभावी उपाय माना जाता है। यह पाठ न केवल मन को शांति देता है बल्कि साधक के जीवन से भय, कष्ट और नकारात्मकता को भी दूर करता है।

Durga Chalisa Path Lyrics in Hindi

दुर्गा चालीसा पाठ की विधि: प्रात:काल जल्दी उठें,स्नान कर शरीर को शुद्ध करें और साफ और धुले हुए वस्त्र पहनें। एक स्वच्छ चौकी पर मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें, पूजा स्थान को फूलों से सजाएं और वहां पवित्र वातावरण बनाए रखें ,मां दुर्गा के सामने घी का दीपक जलाएं और अगरबत्ती या धूप भी जला सकते हैं।

मां को रोली, हल्दी, अक्षत (चावल), फूल और अपनी श्रद्धानुसार प्रसाद (खीर, फल आदि) व सोलह श्रृंगार अर्पित करें,पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पाठ करें।

Durga Chalisa Path Vidhi In Hindi

ऐसे करें चालीसा का पाठ – मन को एकाग्र करें और सच्चे भाव से दुर्गा चालीसा का पाठ करें,पाठ करते समय आवाज स्पष्ट और स्थिर रखें।

श्री दुर्गा चालीसा – Durga Chalisa Lyrics in Hindi

नमो नमो दुर्गे सुख करनी,नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी।
निरंकार है ज्योति तुम्हारी,तिहूं लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला, नेत्र लाल भृकुटि विकराल।
रूप मातु को अधिक सुहावे’दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजै॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुँलोक में डंका बाजत॥
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तन बीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम ताहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब-जब। भई सहाय मातु तुम तब-तब॥

अमर पुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
जोगी सुर-मुनि कहत पुकारी। योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो। काम क्रोध जीति सब लीनो॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें। रिपु मुरख मोही डरपावे॥

शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।।
जब लगि जियऊं दया फल पाऊं। तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥
श्रीदुर्गा चालीसा हम सब गावें गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥
माता मोहि शरण निज जानी। करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
नमो-नमो विंदेश्वरी नमो-नमो जगदम्ब-संत जनों के काज में मां करतीं नहीं विलंब।।
॥इति श्रीदुर्गा चालीसा सम्पूर्ण॥

आरती और प्रार्थना – चालीसा पाठ के बाद मां दुर्गा की आरती करें। आरती के पश्चात सच्चे मन से अपनी मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना करें। पूजा पूरी होने पर प्रसाद ग्रहण करें और परिवार एवं श्रद्धालुओं में बांटें,ऐसा करने से पुण्य फल मिलता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

दुर्गा चालीसा पाठ का महत्व – नवरात्र में दुर्गा चालीसा पढ़ने से मानसिक शांति मिलती है,जीवन से बाधाएं और भय दूर होते हैं और घर में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है,साधक के आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है।

विशेष – शारदीय नवरात्र केवल उत्सव नहीं बल्कि आत्मशुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण करने का अवसर है। दुर्गा चालीसा का पाठ इस पावन अवसर पर मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का सरल और प्रभावी साधन है। नियमपूर्वक विधि-विधान से यह पाठ करने पर माता अवश्य प्रसन्न होती हैं और भक्त के जीवन से दुख-दरिद्रता समाप्त करती हैं।

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