इस माह 9 जलाई को जहां व्रत पूर्णिमा है वहीं दूसरे दिन यानी 10 जुलाई को स्नान-दान पूर्णिमा के साथ ही सावन मास का शुभारंभ हो रहा है। वर्ष 2025 में 11- जुलाई से सावन का महीना शुरू हो जाएगा और इस तरह सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ेगा। श्रावण मास भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष माना जाता है क्योंकि सावन का महीना भगवान भोलेशंकर को अति प्रिय है जबकि पुराणों के अनुसार इसी माह में माता पार्वती ने कठोर तप करके शिव को प्राप्त किया था। साथ ही समुद्र मंथन के समय निकले विष को शिव ने इसी महीने ग्रहण किया था, जिससे भोले नाथ,नीलकंठ स्वरूप को प्राप्त हुए यही वजह है कि शिव भक्त श्रावण मास में विशेष रूप से सोमवार के दिन व्रत तो करते ही हैं, साथ ही भोलेनाथ को प्रसन्न करने भक्त जलाभिषेक,रुद्राभिषेक, जलतर्पण और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं ताकि शिव कृपा से जीवन के दोष दूर हों और मनोकामनाएं पूर्ण हों और उसके जीवन में सुख-शांति, समृद्धि व खुशहाली बनीं रहे।इस लेख में श्रावण मास सहित सावन सोमवार को लेकर कुछ विशेष बातें जो शिव भक्तों के काम आने वाली हैं। लेकिन सबसे पहले जानते हैं कि किस-किस तारीख को सावन का सोमवार होगा और शिव भक्ति से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदु भी उल्लेखित हैं।
श्रावण मास की महत्वपूर्ण तिथियां
सावन शुरू – 10 जुलाई 2025
पहला सोमवार – 14 जुलाई
दूसरा सोमवार – 21 जुलाई
तीसरा सोमवार – 28 जुलाई
चौथा सोमवार – 4 अगस्त और वहीं 8-अगस्त से सावन यानी श्रावण मास की समाप्ति होगी।
सावन में प्रमुख पूजा-पद्धतियां
सोमवार व्रत – विशेष रूप से कुंवारी किशोरियां व किशोर यानी युवा वर्ग अपने अच्छे घर-वर व विशेष रूप से अच्छी नौकरी पाने सोमवार को उपवास कर भोलेनाथ की कृपा पाने शिव आराधना करती हैं।
रुद्राभिषेक – सावन के महीने में पड़ने वाले हर सोमवार को शिव भक्ति में घर-घर और शिवालयों में दूध, जल, गंगा जल,बेलपत्र, शहद, दही, शहद , गुलाब जल,घी, शक्कर से पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक जिसमें भगवान भोलेशंकर अति प्रसन्न होते हैं।
कांवड़ यात्रा – सावन मास भर,शिवभक्त तीर्थों पर पहुंच कर या वहां से जल लाकर अपने स्थानीय शिवालयों के शिवलिंग पर चढ़ाते हैं जिसमें हिन्दू सनातन धर्म में विशेष महत्व है।
श्रावण आरती और शिव स्तुति – श्रावण के पूरे माह घरों और मंदिरों में बम-बम भोले की न सिर्फ़ गूंज होती है बल्कि शिव भक्ति अपनी श्रद्धा-सामर्थ अनुसार दान-पुण्य,हवन व शिवालयों महाभोग का आयोजन कर जगह-जगह शिवालयों व सार्वजनिक स्थानों पर भंडारा आयोजित कर भजन संध्या से श्रावण मास का समापन भी भक्ति भावना के साथ करते हैं।
सावन में पड़ने वाले अन्य धार्मिक व्रत-त्योहार
मंगला गौरी व्रत (मंगलवार को) – विवाहित स्त्रियां पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं।
हरियाली तीज – स्त्रियां श्रृंगार कर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं।
नाग पंचमी – सर्पों की पूजा की जाती है, शिव जी के गले का प्रतीक मानकर लोग सांपों के बिल यानी बामी की भी पूजा करते हैं।
सावन मास में क्या करें और क्या न करें
सावन का महीना बहुत ही पुण्यकारी होता है,इस माह में किए गए सभी धार्मिक कार्य भगवान भोलेशंकर स्वीकार कर अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। इसलिए श्रावण मास में सुबह उठकर शिवालय जाना,व्रत-उपवास करना, शिवलिंग पर जल चढ़ाना, ब्रह्मचर्य और संयम का पालन करना, सात्विक भोजन व भजन-कीर्तन करना पुण्यकारी माना गया है। जबकि श्रावण मास में मांसाहार, लहसुन-प्याज, झूठ बोलना, निंदा करना, बाल कटवाना और नाखून काटना जैसे कृत्यों से परहेज़ करना धार्मिक आस्था को समृद्ध बनाता है।