Shravan Ke Mahine Me Kya Nahi Karna Chahiye: श्रावण मास में भूलकर भी ना करें यह गलतियां

Shravan Ke Mahine Me Kya Nahi Karna Chahiye

Shravan Ke Mahine Me Kya Nahi Karna Chahiye: श्रावण मास जिसे सावन के महीने के नाम से भी जाना जाता है बेहद ही पवित्र और धार्मिक महीना होता है। इस दौरान भगवान शिव की विशेष आराधना की जाती है। श्रावण मास में कुछ विशेष नियमों का भी पालन किया जाता है ताकि इस दौरान आपको ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके। हालांकि श्रावण मास धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि (shravan mas 2025) से तो महत्वपूर्ण होता ही है परंतु वैज्ञानिक दृष्टि से भी इस महीने में कुछ कार्य वर्जित माने जाते हैं।

Shravan Ke Mahine Me Kya Nahi Karna Chahiye
Shravan Ke Mahine Me Kya Nahi Karna Chahiye

श्रावण के महीने में पालन करे यह नियम (shravan ke mas me kya na kare)

श्रावण मास में कुछ कार्यों को करना वर्जित माना जाता है। इस महीने का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता ही है परंतु सामाजिक और वैज्ञानिक कारण की वजह से भी कुछ वर्जित नियम तय किए गए हैं और आज के इस लेख में हम आपको इसी के बारे में विशेष जानकारी उपलब्ध कराएंगे जहां हम बताएंगे कि श्रवण के मास में कौन से काम नहीं करना चाहिए और उनको करने से क्या होता है।

श्रावण के मास में कौन से कार्य नहीं करने चाहिए

मांस और नशे का सेवन: श्रावण के मांस में मांसाहार, नशीली चीज, तंबाकू, सिगरेट, बीड़ी इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए। धार्मिक दृष्टि से तो यह वस्तुएं खराब होती ही है परंतु इस मौसम में पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है। बारिश की वजह से शरीर की जठराग्नि तीव्र नहीं होती जिसकी वजह से इस प्रकार के पदार्थ के सेवन से शरीर में विषैलापन बढ़ जाता है और नुकसान झेलना पड़ता है।

मिर्च मसाले वाले भोजन सेवन: श्रावण के मास में भारी भरकम भोजन और मिर्च मसाले वाले भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। खासकर बैंगन, मूली इत्यादि क्योंकि यह खाद्य पदार्थ शरीर में उष्णता बढ़ाते हैं और पाचन को प्रभावित करते हैं। जिसकी वजह से पाचन शक्ति कमजोर होने लगती है। इसके अलावा श्रवण के महीने में पालक, मेथी इत्यादि का सेवन भी नहीं करना चाहिए क्योंकि बारिश की वजह से यह खाद्य पदार्थ कीड़ों से भर जाते हैं जिससे फूड इंफेक्शन ज्यादा हो सकता है।

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मानसिक संयम और तनाव से दूर: श्रावण के माह में पूजा अर्चना और जप-तप को महत्व दिया जाता है। इस दौरान मानसिक तनाव से दूर रहने के लिए कहा जाता है क्योंकि श्रावण के मास में दिन छोटे और रातें लंबी होती है जिसकी वजह से स्लीप साइकिल और हार्मोनल बैलेंस प्रभावित होता है ऐसे में तनाव की वजह से कॉर्टिसोल लेवल बढ़ जाता है और इम्यूनिटी कम हो जाती है। इसी वजह से श्रावण के मास में जप तप और मेडिटेशन करने के लिए कहा जाता है।

दूध से बनी चीजों का करे त्याग: श्रावण के मास में दूध से बनी वस्तुओं का सेवन न करें। इस मौसम में गाय और भैंस बीमार पड़ जाती है जिसकी वजह से उनकी दूध की क्वालिटी भी प्रभावित होती है। साथ ही दूध जल्दी खराब भी हो जाता है और दूध में बैक्टीरिया भी पनपने लगते हैं। इसीलिए कहा जाता है कि इस मास में दूध का सेवन नहीं बल्कि दही या छाछ का सेवन करना चाहिए।

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