Shravan Death Anniversary | About Nadeem-Shravan in Hindi। न्याज़िया बेगम-: ओल्ड इज़ गोल्ड गाने तो सभी को भाते हैं या कह लें कि संगीत की थोड़ी समझ रखने वालों के दिल के क़रीब हैं लेकिन 90 के दशक से 2000 की शुरुआत तक कुछ ऐसे गीत आए जिनका खु़ंमार सबके सिर चढ़कर बोला चाहे वो संगीत के पारखी हों या न हों, बच्चे हो, बड़े हों या बूढ़े, बिलकुल जुदा ही था इन गीतों का अंदाज़, जो नई पीढ़ी को भी अपनी ओर आकर्षित करता हैं।
कैसे थे ये गाने ? तो हम आपको बता दें कि इनकी फेहरिस्त तो बहोत लंबी है फिर भी इनमें से कुछ खास फिल्मों को हम याद दिलाए देते हैं जो इन गीतों से सज कर आई थीं।
फिल्म्स में दिया सुपरहिट संगीत | Shravan Death Anniversary
तो सबसे पहले अपने दिलनशीं नग़्मों से हमें दीवाना बनाने आई फिल्म आशिकी , जिसकी भारत में 20 मिलियन यूनिट बिकीं और ये अब तक का सबसे अधिक बिकने वाला बॉलीवुड साउंडट्रैक एल्बम बन गया और इसके संगीत ने टी-सीरीज़ कंपनी को भी बुलंदियों पर पहुंचा दिया। फिर आई साजन, फूल और कांटे, सड़क, दिल है के मानता नहीं, दीवाना, सपने साजन के, हम हैं राही प्यार के, रंग, दिलवाले, सलामी, राजा, बरसात, अग्निसाक्षी, जीत, राजा हिंदुस्तानी, साजन चले ससुराल, परदेस, जुदाई, मोहब्बत, सिर्फ तुम, धड़कन, कसूर, एक रिश्ता, ये दिल आशिकाना, राज़, दिल है तुम्हारा, हां मैंने भी प्यार किया, दिल का रिश्ता, अंदाज, क़यामत, बरसात और दोस्ती जैसी बेशुमार फिल्में जिनके गीत संवरे थे।
नदीम-श्रवण की जोड़ी | Shravan Death Anniversary
नदीम-श्रवण के संगीत से जो सुनने में तो एक ही नाम लगता है पर ये दो संगीत निर्देशकों, नदीम अख्तर सैफी और श्रवण कुमार राठौड़ की जोड़ी है। जिन्होंने अपनी धुनों में हिंदुस्तानी संगीत का शास्त्रीय और अर्ध-शास्त्रीय पहलू को बड़े प्रभावी ढंग से पेश किया और हमारे पारंपरिक वाद्यों का भी बड़े भरोसे और शिद्दत से बखूबी इस्तेमाल किया। जिनमें बांसुरी, सितार और शहनाई उनके लगभग सभी गीतों में मनमोहक रूप में सुनाई देते हैं, जिन्हें उनके मूल रूप में बिना छेड़ छाड़ किए, नए अंदाज़ में ढाला गया है।
दिग्गज गायकों ने गाए गीत | Shravan Death Anniversary
दिग्गज गायक मोहम्मद रफी ने उनकी फिल्म दंगल में और किशोर कुमार ने फिल्म इलाका में उनके संगीत निर्देशन में गीत गाए। लता मंगेशकर और आशा भोसले ने भी इस जोड़ी के लिए कुछ एल्बमों में गीत गाए।
नदीम-श्रवण की जोड़ी | Shravan Death Anniversary
नदीम अख्तर सैफी और श्रवण 1973 से एक दूसरे के साथ थे जब वो एक समारोह में एक दूसरे से मिले थे। उनकी पहली फ़िल्म 1977 की भोजपुरी फ़िल्म दंगल थी जिसमें मन्ना डे का गाया भोजपुरी गीत “काशी हिले, पटना हिले” बेहद लोकप्रिय हुआ था और आपकी पहली हिंदी फ़िल्म 1981 में आई, ‘मैंने जीना सीख लिया थी’। 1990 की फिल्म आशिकी के ज़रिए वो सुर्खियों में आए जो टी सीरीज म्यूजिक कम्पनी के संस्थापक गुलशन कुमार ने उन्हें दी थी जिसके संगीत को “100 महानतम बॉलीवुड साउंडट्रैक” पर चौथे सर्वश्रेष्ठ साउंडट्रैक का दर्जा दिया गया।
उनके कुछ गाने जैसे- अदाएं भी हैं, तुझे न देखूं तो चैन, चेहरा क्या देखते हो हमें ग़ज़ल की रौ में बहा ले जाते हैं तो परदेस के गानों में हमें मौसिक़ी का मुख्तलिफ अंदाज़ क़व्वाली तक ले जाता है।
नदीम-श्रवण की टूटी जोड़ी | Shravan Death Anniversary
काश ये दौर चलता रहता और हम ऐसी अनुपम धुनों का आनंद लेते रहते पर गुलशन कुमार की हत्या के साथ ही दोनों के करियर पर मानों विराम लगने लगा क्योंकि उनकी हत्या के मामले में संदेह नदीम अख्तर सैफी पर भी किया गया था हालंकि बाद में सबूत नहीं मिले लेकिन नदीम भारत छोड़कर चले गए। नदीम यू.के. में ही रहने लगे पर इंग्लैंड और भारत के बीच की दूरी के बावजूद, वो श्रवण ने साथ मिलकर संगीत रचते रहे दोस्ती: फ्रेंड्स फॉरएवर में उन्होंने आखरी बार साथ में संगीत दिया।
श्रवण कुमार की मृत्यु | Shravan Death Anniversary
22 अप्रैल 2021 को श्रवण कोविड-19 का शिकार होकर हमें और अपने साथी नदीम को अलविदा कह गए पर नदीम के संगीत से, उनके नाम से वो कभी जुदा नहीं हुए। आप दोनों का रचा संगीत हमेशा संगीत प्रेमियों के दिलों में रहेगा ।